उन्होंने बताया कि गर्मी और उमस का मौसम होता है बरसात का। इसकी वजह से राम लला को कोई दिक्कत न हो इसलिए उन्हें सूती वस्त्र धारण कराया जा रहा। इसके साथ ही सुबह बाल भोग में उन्हें रबड़ी का भोग लगाया जा रहा। वहीं दोपहर में व्यंजन भोग में उन्हें अनेक प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं। वहीं शाम को भी बाल भोग लगाया जाता। रात को शरण आरती के पश्चात उन्हें सूक्ष्म भोग लगाया जाता वहीं शयन के वक्त उन्हें गर्म दूध भी दिया जाता। रामलला का भोग लगाते समय यह ध्यान दिया जाता कि उन्हें ऋतु के अनुसार भोग लगाया जाता जिससे बालक रामलला बीमार न हों।