बता दें कि बाल विवाह के खिलाफ बाल विवाह विरोधी अधिनियम 1929 यथा संशोधित अधिनियम अस्तित्व में है। इसके बाद भी इस प्रकार के विवाह की घटनाएं प्राय: होते रहती हैं। उन्होंने कहा कि बाल विवाह विरोधी अधिनियम के अंतर्गत जो भी व्यक्ति जिसमें पंडित, मौलवी, परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, मित्र, टेंट वाले, केटर्स आदि सम्मिलित होंगे। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर 2 वर्ष की कठोर कारावास के साथ एक लाख रूपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
बाल संरक्षण अधिकारी ने कहा
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने सभी उप जिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, थानाध्यक्ष, सेक्टर मैनेजर वन स्टॉप सेंटर, महिला कल्याण अधिकारी महिला शक्ति केंद्र, समन्वयक चाइल्ड लाइन को पत्र भेजकर बाल विवाह पर निगरानी बनाए रखने हेतु रणनीति बनाने के लिए कहा है।
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इस संबंध में बाल संरक्षण अधिकारी संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि कुछ दिन पूर्व बीघापुर में बाल विवाह का मामला सामने आया था। जिसमें चाइल्ड लाइन की सक्रियता से नाबालिग बालिका वधू बनने से बच गई थी। चाइल्ड लाइन की टीम ने मौके पर पहुंचकर बाल विवाह को रुकवाया था। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन बाल विवाह ना होने पाए। इसके लिए सभी अधिकारियों को अलर्ट किया गया है।