कोरोना संक्रमण के प्रभाव के चलते भगवान महाकाल करके की सवारियां अभी तक सामान्य रूप तथा परिवर्तित मार्ग से निकाली जा रही थी, लेकिन पिछले सोमवार से सवारी परंपरागत मार्ग से निकाली गई। इस बार भी सवारी का मार्ग परंपरागत ही रहा। मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलीधर का पूजन-अर्चन होने के बाद रजत जडित पालकी जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंची तो सशस्त्र बल के जवानों द्वारा गॉड ऑफ ऑनर दिया गया।
चॉदी का ध्वज सवारी में आकर्षक रहा
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 12 किलो से अधिक चॉदी का 12 फीट का ध्वज शाही सवारी में आगे चल रहा था जो बडा ही आकर्षक लग रहा था। शाही सवारी वाला रहेगा मार्ग राजाधिराज बाबा महाकाल की सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची। क्षिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक हुआ, फिर आरती हुई। इसके बाद सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, सत्यनारायण मंदिर, टंकी चौराहा, तेलीवाड़ा, कंठाल चौराहा, सती गेट, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुनः श्री महाकाले श्वर मंदिर पहुंची।
सवारी में आगे तोपची, कड़ाबीन, पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान चल रहे थे। शाही सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों श्रद्धालु पालकी में विराजित चन्द्रमौलीश्वर के दर्शन के लिए खडे थे और जैसे ही पालकी उनके सामने से निकली वैसे ही पुष्प वर्षा कर श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाए।