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महाकाल लोक हादसा- निर्माण में हुई बड़ी तकनीकी चूक, सवालों के घेरे में 12 सौ करोड़ का प्रोजेक्ट

Maharajwada wall Issue महाराजवाड़ा दीवार में बडी तकनीकी चूक से महाकाल लोक निर्माण पर उठे सवाल

उज्जैनSep 29, 2024 / 09:34 pm

deepak deewan

Questions raised on Mahakal Public Works due to a big technical mistake in Maharajwada wall

Questions raised on Mahakal Public Works due to a big technical mistake in Maharajwada wall

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर परिसर में बन रहे महाकाल लोक के निर्माण की तकनीक और गुणवत्ता पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। दो दिन पूर्व मंदिर के पास बनी नवनिर्मित दीवार ढहने से दो लोगों की मौत के बाद पुलिस, प्रशासनिक हल्कों के साथ ही राजनैतिक क्षेत्रों में भी बवाल मच गया है। तमाम संबंधित ए​जेंसियां और अफसर अपना पल्लू झाड़ने के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाने में लगे हैं लेकिन इस तथ्य को कोई झुठला नहीं पा रहा है कि यह हादसा महाकाल लोक निर्माण के अंतर्गत चल रहे कार्यों के दौरान ही हुआ है। यह बात भी सामने आई है कि निर्माण में हुई बड़ी तकनीकी चूक के कारण दीवार ढही। इस हादसे के साथ ही 12 सौ करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट सवालों के घेरे में आ गया है।
उज्जैन में महाकाल लोक के दूसरे चरण के कई कार्य चल रहे हैं। इसी के तहत महाराजवाड़ा स्कूल परिसर में बनी एक दीवार शुक्रवार शाम को ढह गई जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। मामले में रविवार को पांच अधिकारी-कर्मचारी निलंबित कर दिए गए। महाकाल थाना टीआइ अजय वर्मा, एसआइ बीएल निगलवाल, महाकाल मंदिर क्षेत्र के सुरक्षा अधिकारी प्लाटून कमांडर दिलीप बामनिया, नगर निगम उपयंत्री गोपाल बोयत और विशेष गैंग प्रभारी मनीष बाली को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इन सभी को अतिक्रमण नहीं रोकने और नहीं हटाने के लिए निलंबित किया गया है।
हादसे की मूल वजह को अभी भी नजरअंदाज किया जा रहा है। सवाल ये है कि नई बनी दीवार क्यों ढही! महाराजवाड़ा स्कूल परिसर में पुरानी दीवार के पीछे एक और दीवार बनाई गई थी। इन दोनों के बीच टनों मिट्टी थी। यहां जल निकासी की व्यवस्था ही नहीं थी। प्रोजेक्ट में इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया कि बारिश में महाराजवाड़ा भवन के विशाल परिसर का पानी कैसे और कहां से निकलेगा!
हकीकत तो यह है कि रिटेनिंग दीवार बनाने में जमकर लापरवाही बरतने की बात सामने आई है। भवन के लिए बनाई गई दीवार पत्थर की बजाए ईंट की बना दी गई। इंजीनियरों के अनुसार रिटेनिंग वाल नीचे मोटी और ऊपर पतली यानि ट्राइएंगल आकार में बनती है। रिटेनिंग वाल बनाते समय मिट्टी के दबाव का भी आकलन किया जाता है ताकि दीवार इसका भार सह सके। रिटेनिंग दीवार और मिट्टी के बीच मुरम, गिट्टी या चूरा भरते हैं ताकि मिट्टी फूले नहीं। महाराजवाड़ा में गिरी दीवार के पीछे बारिश से मिट्टी निकलना एक बड़ी वजह रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि रिटेनिंग दीवार में वीप होल दिए जाते हैं। जिस तरह होर्डिंग्स में हवा पास करने के लिए छेद किए जाते हैं वैसे ही दीवार के वीप होल पानी को निकालते हैं। इंजीनियरों का कहना है कि दीवार बनाते वक्त अगर यह खामियां रखी गई तो बड़े तकनीकी पहलुओं की अनदेखी की गई है। इन बिंदुओं के आधार पर जांच होती है तो जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ जाएगी।
महाकाल लोक निर्माण कार्य में गुणवत्ता और तकनीक पर शुरु से ही सवाल उठते रहे हैं। इन बातों को तब बल मिला जब लोकार्पण के महज 8 माह बाद ही महाकाल लोक में आंधी से कई प्रतिमाएं जमींदोज होकर टूट गई थीं। महाकाल लोक गलियारे में 150 से अधिक मूर्तियां हैं, जिनमें से सप्त ऋषियों की मूर्तियां टूट गई थीं। दीवार गिरने के बाद भी कलेक्टर नीरज सिंह ने जांच बैठा दी है।
बता दें कि 11 अक्टूबर 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। महाकाल लोक का पहले चरण का विकास करीब 352 करोड़ रुपए की लागत से किया गया था। दूसरे चरण का काम अभी चल रहा है। योजना की कुल लागत करीब 1172 करोड़ रुपए है।
महाकाल लोक प्रोजेक्ट के दोनों चरणों की लागत शुरुआत में करीब 750 करोड़ रुपए थी, जिसे बढ़ाकर 850 करोड़ रुपए कर दिया गया था। इसकी वर्तमान लागत करीब 12 सौ करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गई है।

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