बता दें कि, प्रहलाद बुनकर अपनी पत्नी के साथ डेढ़ साल पहले अपने घर से इस यात्रा पर निकले थे। उन्होंने राजस्थान से अपनी यात्रा शुरु करते हुए रामदेवरा के दर्श किए। इसके अजमेर, पुष्कर होते हुए वह बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन पहुंचे हैं। यहां दर्शन करने के बाद वह ओंकारेश्वर फिर अयोध्या तक दंडवत यात्रा करेंगे।
बताया जा रहा है कि प्रहलाद बिना चप्पल के ही करीब डेढ़ किलोमीटर की दंडवत यात्रा कर रहे हैं। वह अपने हाथ में नारियल लेकर दंडवत प्रणाम करते हुए जा पैदल चलते हैं। उनके साथ उनकी पत्नी भी साथ ही चलती है। इस यात्रा के दौरान प्रहलाद का कहना है कि भगवान की ऐसी कृपा है कि जब भूख लगती है तो उससे पहले ही हमें भोजन मिल जाता है और प्यास लगने से पहले ही पानी मिल जाता है। कभी-कभी भक्त लोग खाना खिला देते हैं तो कभी हम खुद होटल में खा लेते हैं।
मन्नत के कारण कर रहे दंडवत यात्रा
प्रहलाद ने अपनी मन्नत के बारे में किसी को नहीं बताया है, वो चुपचाप अपनी पत्नी के साथ यात्रा कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमारे इस कठिन परिश्रम का आर्शीवाद भगवान जरुर हमें देंगे।