कोविड से पहले उन्होंने कुछ समय कोचिंग के माध्यम से तैयारी की। फिर दो साल तक सेल्फ तैयारी करके यह मुकाम हासिल किया। प्रकाश को तीन बार असफलता मिली, लेकिन वे हार नहीं माने। जिद, जुनून और जज्बे के दम पर उन्होंने चौथे प्रयास में इस मुकाम को पाया है। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने अपनी सफलता का राज साझा किया।
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सवाल: पीएससी क्लियर करके आप वित्त विभाग में अकाउंट ऑफिसर बन चुके हैं, कैसा लग रहा है?
जवाब: बहुत अच्छा लग रहा है। सेना से 2019 में रिटायरमेंट के बाद से तैयारी जारी रखी। 2019 की अनुपूरक सूची में नाम था। फिर 2020 में परीक्षा दी, उसमें असफलता मिली। फिर 2021 में दोबारा परीक्षा दी। उसका परिणाम आपके सामने हैं।सवाल: तैयारी के दौरान किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
जवाब: लक्ष्य निर्धारित किया था कि पांच साल के अंदर पीएससी क्लियर करना है। 2019 में कोचिंग लगवाई। फिर लॉकडाउन लग गया तो घर से ही ऑनलाइन तैयारी की। पीएससी सबसे अहम लक्ष्य था। ऐसे में बजाएं कोई और नौकरी करने के, सेना से मिलने वाली पेंशन से ही घर चलाया।सवाल: पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है और सबसे ज्यादा सहयोग किसका रहा?
जवाब: पिता विजयसिंह ग्रेसिम में फीडर थे। 2015 में उनका निधन हो गया। तैयारी करते हुए ये बात ध्यान रहती कि कुछ बनना है, मेरे लिए यही मेरे पिता को सच्ची श्रद्धांजलि थी। फौज का अनुशासन काम आया। असफलता मिलने पर बड़ी बहन सविता ने प्रोत्साहित किया।