सीएम के निर्देश पर प्रक्रिया शुरू, अंतिम निर्णय शासन लेगा
उज्जैन•Jan 15, 2018 / 12:29 am•
Gopal Bajpai
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उज्जैन. महाकाल मंदिर में लम्बे समय तक प्रशासक पदस्थ हों, इसके लिए स्थायी प्रशासक की नियुक्ति के लिए कवायद प्रारंभ हो गई है। इसके लिए तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों का पैनल बनाया जा रहा है। इनमें से किसी एक को महाकाल मंदिर की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
महाकाल मंदिर में प्रशासन १५ माह में ६ अधिकारी बदल चुका है। कामचलाऊ नियुक्तियों के कारण मंदिर के कामकाज भी प्रभावित होते हैं। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के लिए लम्बे समय से स्थायी प्रशासक की दरकार है। इसके लिए शासन से समय-समय पर मांग भी होती रही है, लेकिन प्रशासक की नियुक्ति कलेक्टर की ओर से हो रही है। नतीजतन कामचलाऊ व्यवस्था के तौर पर मंदिर समिति में प्रशासक नियुक्त किए जा रहे हैं। करीब २० दिन पहले महाकाल मंदिर में प्रशासक को अचानक बदले जाने से यह मसला फिर से सुर्खियों में आ गया। लगभग एक सप्ताह पहले प्रशासक का मामला मुख्यमंत्री के समक्ष लाया गया था, वहीं मंदिर समिति के एक सदस्य ने प्रशासक के लिए पूर्व प्रशासक को यह दायित्व देने का प्रस्ताव अप्रत्यक्ष तौर पर मुख्यमंत्री के समक्ष पहुंचाया था।
महत्वपूर्ण पद है
सूत्रों के अनुसार इस संबंध में मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से चर्चा की। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि मंदिर के प्रशासक का पद न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि काम का बोझ भी रहता है। प्रशासनिक महकमे से नियुक्त अधिकारी प्रशासन और महाकाल मंदिर की दोहरी जिम्मेदारी से न्याय नहीं कर पाते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उज्जैन में सिटी मजिस्ट्रेट और महाकाल मंदिर में प्रशासक रहे, मुख्यमंत्री कार्यालय में उपसचिव नीरज वशिष्ठ को महाकाल मंदिर के लिए नए प्रशासक की नियुक्ति के लिए कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया है।
तीन नाम की पैनल
महाकाल मंदिर प्रशासक के लिए अघोषित तौर पर तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों का पैनल बनाया जा रहा है। इनमें एक अपर कलेक्टर और दो संयुक्त कलेक्टर पद से सेवानिवृत्त हैं। इनके पास मंदिर की जिम्मेदारी का अनुभव भी है। बताया जाता है कि इन तीनों की प्रोफाइल के साथ सीएम से चर्चा होगी। संभावना है कि सीएम नाम तय करने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा भी कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार प्रशासक पद के लिए सेवानिवृत्त हो चुके जयंत जोशी, जेसी बौरासी और एएके दुबे के नाम पर चर्चा हो सकती है।
इसलिए भी जरूरी स्थायी प्रशासक
प्रशासक पद की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीईओ, अपर कलेक्टर अवधेश शर्मा को दी। जानकारों के अनुसार शर्मा को उज्जैन में पदस्थ हुए करीब ३ वर्ष से अधिक का समय हो गया है। वर्ष २०१८ चुनावी साल है और वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इसके चलते शर्मा का स्थानांतरण संभव है। चुनाव आयोग के आदेश के परिपालन में भी शर्मा के तबादले की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति में पुन: किसी अन्य को प्रभारी प्रशासक बनाना होगा। मंदिर के प्रशासक के लिए गंभीरता से प्रयास होने लगे हैं।
हर चार-छह महीने में बदलते रहे प्रशासक
संयुक्तकलेक्टर जयंत जोशी के लगातार 4 वर्ष मंदिर समिति के प्रशासक रहे। उनके सेवानिवृत होने के रहने के बाद से मंदिर में एक भी स्थाई प्रशासक नियुक्त नहीं हुआ। करीब १३ माह से मंदिर प्रबंध समिति लगातार प्रभारी प्रशासक के भरोसे ही चल रही है। जोशी 2011 से 201६ तक मंदिर समिति के प्रशासक रहे। इसके बाद सिंहस्थ 2016 से कुछ समय पहले आरपी तिवारी को प्रशासक बनाया गया। सितंबर 2016 तिवारी के जाने के बाद रजनीश कसेरा, डिप्टी कलेक्टर अवधेश शर्मा के कुछ समय के लिए प्रभारी प्रशासक बनाया गया। इनके बाद संयुक्त कलेक्टर सुजानसिंह रावत को प्रशासक की जिम्मेदारी दी गई। इस नियुक्ति से उम्मीद थी कि मंदिर समिति को स्थायी प्रशासक मिल गए, लेकिन शासन ने रावत का पदोन्नति के बाद तबादला कर दिया। जुलाई २०१७ में उज्जैन के एसडीएम क्षितिज शर्मा को प्रभारी प्रशासक का दायित्व भी सौंप दिया गया। शर्मा के पास एसडीएम के साथ जिला प्रशासक से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य एवं शाखाओं का प्रभार भी होने से वे मंदिर में फुल टाइम ध्यान नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में अक्टूबर के अंत में प्रोबेशनर पीरियड में उज्जैन पदस्थ डिप्टी कलेक्टर प्रदीप सोनी को प्रभारी प्रशासक बनाया गया। सोनी के प्रोबेशनर पीरियड को देखते हुए कहा जा रहा था कि सोनी का प्रोबेशनर पीरियड ६ से ८ माह बाद खत्म होने पर शासन की ओर उन्हें किसी नई पदस्थापना या प्रशिक्षण पर भेजा जा सकता है।
ऐसे में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति में पुन: किसी अन्य को प्रभारी प्रशासक बनाना होगा। इस पर अधिकारियों को कहना था कि इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग से पत्र व्यवहार किया गया है। सोनी करीब १ वर्ष तक उज्जैन में पदस्थ रहेंगे। इस बीच करीब २० दिन पहले प्रोबेशनर डिप्टी कलेक्टर प्रदीप सोनी को प्रशासक पद से अचानक पद से हटा दिया गया था। फिलहाल प्रशासक की जिम्मेदारी स्मार्ट प्रोजेक्ट के सीईओ,अपर कलेक्टर अवधेश शर्मा के पास है।
पहले भी थे सेवानिवृत्त अधिकारी पद पर
महाकाल मंदिर अधिनियम के तहत शासन-प्रशासन द्वारा डिप्टी कलेक्टर स्तर या द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी को मंदिर समिति का प्रशासक नियुक्ति किया जा सकता है। इसमें सेवानिवृत शासकीय अधिकारियों को भी नियुक्त करने का प्रावधान है। इस क्रम में कुछ वर्षों पहले शासन द्वारा सेवानिवृत आरटीओ शुभकरण शर्मा और विद्युत कंपनी से सेवानिवृत आनंदीलाल जोशी को प्रशासक बनाया था। इनके बाद शासन की ओर से प्रशासक की नियुक्ति नहीं हुई।
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