आधा लीटर जल और सवा लीटर पंचामृत का पैमाना तय
महाकालेश्वर शिवलिंग पर आधा लीटर से ज्यादा जल और सवा लीटर से ज्यादा पंचामृत नहीं चढ़ाया जा सकेगा। गर्भगृह में बड़ी बाल्टी और घड़ा ले जाना भी वर्जित किया गया है। जल और पंचामृत चढ़ाने के दौरान धातु के पात्र शिवलिंग से स्पर्श भी नहीं होना चाहिए। ऐसे आठ नियम मंदिर के पुजारियों, पुरोहितों और गर्भगृह में तैनात समिति के निरीक्षकों को दिए गए हैं।
हो सकती है दंडात्मक कार्रवाई
उपप्रशासक आशुतोष गोस्वामी ने बताया कि जारी किए गए आदेश के अनुसार चेतावनी भी दी गई है कि इनका उल्लंघन करने वालों पर अनुशासनात्मक, दंडात्मक कार्रवाई होगी। इस संबंध में जारी आदेश में लिखा गया है कि निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य है। इस आशय का आदेश 6 अप्रैल 2019 को सभी पुजारी और पुरोहितों को जारी किया गया था। लेकिन मंदिर समिति प्रशासन को यह शिकायतें मिल रही थीं कि इस आदेश का पूर्णत: पालन नहीं हो रहा है। महाकाल शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करने के फोटो और वीडियो भी वायरल हुए थे। जिसमें दावा किया जा रहा था कि तय मात्रा से ज्यादा पंचामृत का उपयोग हो रहा है।
शकर को रगडऩे पर लगाई रोक
प्रशासक एसएस रावत ने बताया कि शकर को शिवलिंग पर हाथ से रगडऩा पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। पूर्व में जारी आदेश की प्रति पुजारियों, पुरोहितों को दोबारा से दी गई है। आदेश पालन के लिए उपप्रशासक गोस्वामी को इसके लिए पाबंद किया गया है। गोस्वामी के अनुसार सभी पुजारियों, पुरोहितों और मंदिर समिति के गर्भगृह निरीक्षकों को बुलाकर आदेश की प्रति देकर पालन करने को कहा गया है। इसके पहले भी सभी लोगों को इस संबंध में समझाइश दी गई थी। अब इसका सख्ती से पालन कराया जाएगा।
पुरातत्व की टीम ने किया था दौरा
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर का दौरा करने वाली पुरातत्व विभाग की टीम ने हाल ही में शिवलिंग को क्षरण से बचाने के लिए पंचामृत और कोटितीर्थ कुंड के जल को प्रतिबंधित करने की सिफारिश मंदिर समिति से की थी। टीम ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधिकारियों को शामिल करते हुए 7 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मंदिर का दौरा किया था। समिति सदस्यों ने बताया था कि महाकाल की प्रतिमा को भांग शृंगार से किसी तरह का खतरा नहीं है। लेकिन फूल, पत्ती या अधिक मात्रा में शहद-शकर को घिसने से क्षरण की संभावना अधिक है।