script84 महादेव सीरीज : सुरंग में है इन महादेव का मंदिर | 84 Mahadev Series, The tunnel is the temple of Mahadev | Patrika News
उज्जैन

84 महादेव सीरीज : सुरंग में है इन महादेव का मंदिर

श्रावण मास में उज्जयिनी स्थित चौरासी महादेवों की शृंखला में दूसरे क्रम में गुहेश्वर महादेव का मंदिर है, जो रामघाट पर पिशाच मुक्तेश्वर के पास सुरंग के भीतर स्थित है।

उज्जैनJul 20, 2016 / 09:05 pm

Lalit Saxena

84 Mahadev Series, The tunnel is the temple of Mah

84 Mahadev Series, The tunnel is the temple of Mahadev

उज्जैन. श्रावण मास में उज्जयिनी स्थित चौरासी महादेवों की शृंखला में दूसरे क्रम में गुहेश्वर महादेव का मंदिर है, जो रामघाट पर पिशाच मुक्तेश्वर के पास सुरंग के भीतर स्थित है। गुहेश्वर महादेव का पौराणिक आधार ऋषि मंकणक, उनके अभिमान और तपस्या से जुड़ा है।

तत्रास्ते सर्वदा पुण्या सप्तकालपोद्भवा गुहा।
पिशचेश्वरदेवस्य उत्तरेण व्यवस्थिता।।

पौराणिक कथाओं के अनुसार
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में एक महायोगी थे, जिनका नाम मंकणक था। वे वेद-वेदांग में पारंगत थे। वे सिद्धि की कामना में हमेशा तपस्या में लीन रहते थे। एक बार वे देवदारुक वन में तपस्या कर रहे थे, उसी दौरान उनके हाथ में कुश का कांटा लग गया, किंतु रक्त के स्थान पर शाक रस बहने लगा। यह देख ऋषि मंकणक अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें अभिमान हुआ कि यह उनकी सिद्धि का फल है। वे गर्व करके नृत्य करने लगे। इससे सारे जगत में हा-हाकार मच गया, जिसके फलस्वरूप नदियां उल्टी बहने लगीं तथा ग्रहों की गति उलट गई। यह देख सभी देवी-देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे ऋषि को रोकने का आग्रह किया।

शिव की बात सुनने के बाद ऋषि लज्जित हुए
देवताओं को सुनने के बाद शिवजी ऋषि के पास पहुंचे और उन्हें नृत्य करने से मना किया। ऋषि ने अभिमान के साथ अपनी सिद्धि के बारे में भगवान शिवजी को बताया। इस पर शिवजी ने अपनी अंगुली के अग्र भाग से भस्म निकाली और कहा कि देखो मुझे इस सिद्धि पर अभिमान नहीं है और में नाच भी नहीं रहा हूं। भगवान शिव की बात सुनने के बाद ऋषि लज्जित हुए और उन्होंने क्षमा मांगी, साथ ही उन्होंने तप की वृद्धि का उपाय पूछा। तब शिवजी ने आशीर्वाद देकर कहा कि महाकाल वन जाओ, वहां सप्तकुल में उत्पन्न लिंग मिलेगा, उसके दर्शन करो, उसके दर्शन मात्र से तुम्हारा तप बढ़ जाएगा। ऋषि महाकाल वन गए, जहां उन्हें वह लिंग एक गुफा के पास मिला। ऋषि ने लिंग की पूजा-अर्चना की, जिसके बाद ऋषि को सूर्य के समान तेज प्राप्त हुआ। साथ ही उन्होंने कई दुर्लभ सिद्धियों को भी प्राप्त कर लिया। बाद में वही लिंग गुहेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। माना जाता है कि इनके दर्शन एवं अर्चन से अहंकार नष्ट होता है एवं सिद्धियों का सदुपयोग करने की सामर्थता आती है। श्रावण मास के अलावा अष्टमी और चतुर्दशी के दिन इनके दर्शन का विशेष महत्व है।

Hindi News / Ujjain / 84 महादेव सीरीज : सुरंग में है इन महादेव का मंदिर

ट्रेंडिंग वीडियो