ग्रामीणों ने ज्ञापन में बताया कि उदयपुर-चित्तौड़गढ़ हाइवे पर स्थित मेनार की 52 हैक्टेयर भूमि एवं निकटवर्ती ग्राम खेडली, पटवार हल्का केदारिया एवं ग्राम वाना गांव की 50 हैक्टेयर भूमि पर पावरग्रिड स्टेशन स्थापित करने के लिए पावर ग्रिड काॅरपोरेशन लि. द्वारा उपखंड कार्यालय पर आवेदन किया गया। जिसे जांच के लिए उपखण्ड अधिकारी वल्लभनगर को भेजा गया एवं उपखण्ड अधिकारी ने पटवारी हल्का से जांच रिपोर्ट मांगी गई।
पटवारी हल्का मौके पर जांच करने के लिए आए, तो जानकारी में आया। जबकि इस भूमि में गांव वाना, मेनार व खेडली तीनों गांवों की सीमा पर यह भूमि है। जहां गांवों के मवेशी चरने के साथ विचरण करते है। वहां घना जंगल होकर पैडों की छाया में पशु बैठते हैं और पशुपालक भी वहां उठते-बैठते रहते है। इसके अलावा ग्राम बांसडा, मेनार का ओवरफ्लो पानी एवं इस क्षेत्र का बरसाती पानी नाले के रूप में इसी जमीन से होते हुए बिसलपुर परियोजना में जाता है। जो नाला बहुत ही लम्बा एवं चौड़ा है, जिसमें 12 माह पानी भरा रहता है। जिसका मवेशी पानी पीते है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि प्रशासन स्तर पर इसकी कार्रवाई को रोका जाए। नहीं तो, ग्रामीणों की ओर से आंदोलन किया जाएगा।
पक्षियों के प्रवास पर होगा संकट
ग्रामीणों ने बताया कि जिस जगह पर ये ग्रिड प्रस्तावित है, उस क्षेत्र में 4 प्रजातियों के देसी व विदेशी गिद्धों के झुंड को कई बार देखा गया है। साथ ही प्रवासी पक्षी कॉमन क्रेन सहित दर्जनों पक्षियों का ये मुख्य ठिकाना है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर्यटन विभाग एवं वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अनेक कार्यक्रम आए दिन होते रहते है। ऐसे में पर्यटक भी यहां पहुंचने शुरू हो चुके है। इस गांव में दो बडे तालाब होकर वर्ष भर रहने वाले पक्षी अपनी भोजन की तलाश में इन तालाबों का सहारा लेते है। जिस जंगल में पावर ग्रिड स्थापित किया जाना प्रस्तावित है, वहां अनेक पक्षी का ठहरने का आसरा है। पावर ग्रिड स्टेशन स्थापित होने से वहां सभी प्रकार के पेड़ों को हटाया जाएगा। इन काटे जाने वाले पेड़ों के बजाय कोई नए पेड़ भी नहीं लगेंगे और ग्रिड के मकड़जाल से आए दिन पक्षियों की मौतें होगी। एक तरह से सिनेरस और ग्रिफन वल्चर के ठिकानों पर तारों का मकड़ झाल लगाने से सुरक्षित पनाहगाह स्थल खत्म हो जाएगा।