आपके फोटो अपलोड करते ही आरएनटी के सुपर स्पेशलियिटी यूनिट में लगे कंट्रोल रूम में अलार्म बजेगा। इसके साथ ही इंचार्ज, ठेकेदार सहित तीन जनों के पास ऑटो मेल पहुंचेगा। उसके बाद जब तक टॉयलेट क्लीन नहीं होगा, तब तक शिकायत लोड रहेगी। इसके लिए टॉयलेट क्लीन का फोटो वापस अपलोड करने पर ही वह हट पाएगी। समाधान होने के बाद शिकायत करने वाले व्यक्ति के पास थैंक्स का एक मैसेज पहुंचेगा।
प्रायोगिक तौर पर एक बार यह व्यवस्था आरएनटी के अधीन सुपर स्पेशलियिटी व कॉर्डियोलॉजी में शुरू की गई थी। ‘मेरा अस्पताल, मेरी जिम्मेदारी’ के तहत सरकारी अस्पतालों में यह एक अनूठी पहल पूरे राज्य में पहली मर्तबा शुरू हुई है। इस व्यवस्था के तहत लोग चिकित्सा मित्र भी बन रहे हैं। उन्होंने अब तक 5 माह में 49 शिकायत की है, जिसका हाथोंहाथ निस्तारण हुआ। यह व्यवस्था नए साल तक एमबी चिकित्सालय से लेकर जनाना व बाल चिकित्सालय में भी शुरू हो जाएगी।
हर फ्लोर के टॉयलेट पर कोडिंग
इस व्यवस्था के तहत अस्पताल में हर फ्लोर पर बने टॉयलेट को कोडिंग किया गया है। स्कैन होते ही ठेकेदार को उस फ्लोर के बारे में पता चल जाएगा। उसे हर शिकायत के निस्तारण के लिए आधे घंटे का समय दिया है। अगर उसे सुधारने में समय लग रहा है तो उस टॉयलेट के बाहर ‘डोन्ट यूज’ चस्पा करना पड़ेगा। टॉयलेट क्लीन करने के बाद उसे वहां का फोटो कंट्रोल रूम पर लाना होगा। क्लीन फोटो अपलोड होने के बाद शिकायत का निस्तारण माना जाएगा।
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क्यूआर स्कैन करते ही शिकायतकर्ता के समक्ष पूरा फॉर्म खुलता है।
ऐसा है पूरा फॉर्म, हर चीज भरें
1- चिकित्सालय का नाम – सुपर स्पेशयलिटी/ कॉडियोलॉजी
2- सफाई के अभाव वाले स्थान का फोटो अपलोड
3- फोटो अपलोड किए जाने वाले स्थान का नाम – जैसे 001, 002 पहचान के लिए
4- अव्यवस्था का प्रकार- जैसे गंदगी, बदबू, नल की टूट फूट
5- फोटो अपलोड करने वाले चिकित्सालय मित्र का नाम
6- चिकित्सालय मित्र का मोबाइल नम्बर
7- शिकायत दर्ज करवाने पर चिकित्सालय आपको थैंक्स का मैसेज भेजेगा
8- एक ऑप्शन को क्लिक करना – जैसे मरीज, तीमारदार, चिकित्सालय स्टाफ
9- यह प्रयास आपको कैसे लगा- अच्छा, बहुत अच्छा या संतुष्ट
10- सुझाव अथवा टिप्पणी