करीब 77 घंटे बाद सोमवार अपराह्न 3: 45 बजे जैसे ही चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया, हर किसी की आंखें नम हो गईं। परिजन को संभालने के लिए समाजजन, रिश्तेदार सहित कई लोग अस्पताल पहुंच गए। प्रशासन की मृतक के परिवार से वार्ता के बाद 51 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, संविदा पर एक जने को सरकारी नौकरी व सुरक्षा देने पर सहमति बनी। प्रशासन ने एहतियात के तौर मंगलवार रात तक इंटरनेट पर पाबंदी लगाई है। वहीं स्कूलों में अग्रिम आदेश तक अवकाश घोषित है।
उदयपुर शहर में कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद संवेदनाओं से जुड़ा यह दूसरा घटनाक्रम होने से लोगों में आक्रोश दिखा। हालांकि लोग संयम व शांति की परीक्षा में खरे उतरे। शहर व अस्पताल सहित सार्वजनिक स्थलों पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। कई व्यापारियों ने स्वत: दुकानें बंद कर दीं तो कुछ को पुलिस ने समझाइश कर बंद करवा दीं। देर शाम मृतक का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया गया।
शहर के भट्टियानी चौहट्टा स्थित सरकारी स्कूल में शुक्रवार सुबह 10वीं कक्षा के दो छात्र आपस में झगड़ पड़े थे। जिसके बाद एक छात्र ने सहपाठी देवराज की जांघ पर चाकू से वार कर दिया। उसकी मेन आर्टरी कटने से सारा रक्त बह गया। छात्र को गंभीर हालत में एमबी चिकित्सालय में भर्ती करवाया, जहां चिकित्सकों के सीपीआर देने के बाद उसकी सांसें फिर से चालू हो गईं। उसका आपात ऑपरेशन किया, लेकिन प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका।
बहन ने अंतिम बार बांधा रक्षा सूत्र ….
प्रशासन की स्वीकृति के बाद बड़ी बहन सुहानी को देवराज की कलाई पर राखी बांधने के लिए आईसीयू में ले जाया गया। राखी बांधते हुए सुहानी ने देवराज की लम्बी उम्र की कामना की। लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं था। उसने जैसे ही उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा तो एकाएक उसके हाथ भी कांप उठे और आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी। भाई के जीवन और मौत के संघर्ष के दौरान भी वह यही कहती रही कि यह आंख क्यों नहीं खोल रहा। इस दौरान वहां मौजूद हर एक की आंखें नम हो गई। रिश्तेदार उसे जैसे तैसे समझाकर बाहर ले गए। उधर, जैसे ही देवराज की मौत की सूचना मिली तो उसकी मां नीमा बेसुध होकर गिर पड़ी। इससे पहले वह बार- बार अपने बेटे को देखने की जिद करती रही। देवराज के परिवार में मां नीमा, पिता पप्पू, दादी धुरि बाई व बड़ी बहन सुहानी है।
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