सवाल : स्मार्ट पुलिसिंग के लिए आमजन की क्या भूमिका होनी चाहिए ? जवाब : सबसे पहले तो पब्लिक को खुद स्मार्ट होना चाहिए। कहने का मतलब सोसायटी में हो रही छोटी-छोटी अनियमितताओं के प्रति जागरूक होना चाहिए। क्योंकि यही अनियमितताएं आगे चलकर अपराध बनती है। जैसे बाइक पर स्टंट दिखाने वाले या स्कूल कॉलेज के बाहर खड़े होकर छेड़छाड़ जैसी हरकतों की शिकायत पब्लिक लगातार पुलिस को करे। इन्हें अनदेखा नहीं करे। पब्लिक यानी सोसायटी पुलिस पर जितना प्रेशर बनाएगी, पुलिस उतना ही प्रो एक्टिव होकर काम करेेगी। इससे बड़े अपराध रुकेंगे।
सवाल : शहर में मनचले बाइकर्स की हरकतों से आमजन और पर्यटक परेशान हैं ? जवाब : यदि आम आदमी जागरूक रहे तो ऐसी हरकतों पर अंकुश लग सकता है। क्योंकि ऐसे लोगों की पहचान आसानी से की जा सकती है। लोगों को चाहिए कि तुरंत कोई रिएक्ट न करें, लेकिन ऐसी घटनाओं की सूचना पुलिस को अवश्य दें, संभव हो तो बाइक के नंबर भी पुलिस को देवें, ताकि ऐसे युवकों की पहचान कर कार्रवाई कर सके। पुलिस ने ऐसे मनचलों के खिलाफ अभियान भी चलाया है। बीट कांस्टेबल को ऐसे मनचलों की पहचान करने को कहा गया है कि उनकी बीट में जो भी इस तरह की हरकतें करता है, स्टंट बाइक चलाता है। उनसे थाने लाकर पूछताछ की जाए। उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि भी पता की जाएगा। अभयकमांड सेंटर पर लगे कैमराें की मदद से ऐसे मामलों की लाइव मॉनिटरिंग भी करते हैं।
सवाल : शहर में भू माफिया के हौसले बुलंद हो रहे हैं। प्रोपर्टी विवाद भी लगातार बढ़ रहे हैं ? जवाब : इस तरह के मामलों का पुलिस लगातार रिव्यू कर रही है। यही वजह है कि उदयपुर रेंज में ऐसे प्रकरणों की पेंडेंसी घटी है। रिव्यू में ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं कि जिनमें एफआइआर दर्ज कराने वाले की ही कहीं न कहीं मिलीभगत सामने आती है। ऐसे में जांच अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि प्रोपर्टी संबंधी अपराधों की हर एंगल से जांच की जाए। दरअसल ऐसे मामलों में सरकार के स्तर पर पंजीयन की प्रक्रिया में कुछ सुधारों की आवश्यकता है। क्योंकि राजस्थान में अन्य राज्यों की तुलना में प्रोपर्टी अपराध ज्यादा है।
सवाल : रेंज में स्मार्ट पुलिसिंग के लिए क्या नए प्रयोग कर रहे हैं ? जवाब : आमतौर पर पुलिस साइबर फ्रॉड जैसे मामलों में फ्रॉड होने के बाद मामले दर्ज करती है। लेकिन हमने यह व्यवस्था शुरू की है कि यदि कोई व्यक्ति फ्रॉड के प्रयास की भी सूचना लेकर आता है तो उसे परिवाद में लेकर फ्रॉड का प्रयास करने वाले व्यक्ति के नंबर ब्लॉक करवाने की कार्रवाई करवा रहे हैं। यदि फ्रॉड का प्रयास करने वाला कोई अकाउंट नंबर देता है तो उसे भी फ्रीज करवा रहे हैं। सलूम्बर में हमने सेक्सटोर्शन वाली गैंग को भी पकड़ा है। इसके अलावा अपराधिक शिकायतों के मामलों में हम रेस्पॉंस टाइम कम करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रत्येक थाने पर सिगमा बाइक की संख्या बढ़ाई है। हम अलग-अलग सेक्टर के पुलिस मित्र चयनित कर उनका भी उनकी विशेषज्ञता के अनुसार उपयोग कर रहे हैं। गांवों में पुलिस की रीच बढ़ाने के लिए हमने ग्राम रक्षक बढ़ाए हैं।
सवाल : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में फेक वीडियो भी कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बनने लगे हैं, इससे निपटने के लिए क्या कर रहे हैं ? जवाब : ये वास्तव में पुलिस के लिए भी नए जमाने की चुनौती है। इसके लिए प्रदेश के सभी पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लेने वाले पुलिस प्रोफेशनल्स का प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक स्तर पर संचालित हमारी टेक्निकल सेल और अभय कमांड सेंटर पर हमारी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल की ट्रेनिंग भी हमने शुरू कर दी है।
एक्सपर्ट के जरिए इनके टूल्स के बारे में उन्हें अपडेट किया जा रहा है।
एक्सपर्ट के जरिए इनके टूल्स के बारे में उन्हें अपडेट किया जा रहा है।
सवाल : कई राज्यों में पुलिसिंग सोशल मीडिया के जरिए हो रही है, आप उदयपुर रेंज में इसके लिए क्या कर रहे हैं ? जवाब : हमने जयपुर में इसे लेकर अच्छा काम किया है। यहां हम इस मामले में थोड़ा पीछे हैं, इसमें सुधार करेेंगे, जैसे किसी ने हमारे सोशल मीडिया पर कोई मैसेज किया तो उसका रेंस्पॉंस टाइम कम करने का प्रयास करेंगे।
सवाल : प्रदेश में आपकी पहचान आसाराम बापू केस से बनी, क्या आप भी उसी को कॅरियर का सबसे महत्वपूर्ण केस मानते हैं? जवाब : यह सही है कि आसाराम वाले केस ने मेरे ऐसे कई कार्यों को ढ़क दिया, जिनमें मुझे अधिक संतुष्टि प्राप्त हुई है। उस केस के बाद मैं उदयपुर आया था। यहां एक व्यक्ति मुझसे मिला, जिसने बताया कि मौताणा के मामले में उनका परिवार 25 साल से दर दर की ठोकरें का रहा था। गांव में उनकी दो सौ बीघा जमीन थी, लेकिन वे गांव में घुस नहीं पा रहे थे। हमने ग्रामीणों की लगातार काउंसलिंग की। करीब छह महीने के प्रयास के बाद हमने 104 लोगों के परिवार को गांव में पुनर्स्थापित किया। यहीं बैंक डकैती की घटना में पुलिस कांस्टेबल सूर्यभान की मौत हो गई थी। जिसे हमने शहीद का दर्जा दिलवाया। राजस्थान पुलिस में यह परम्परा उसी के नाम से शुरू हुई और शहीद परिवारों को कई सुविधाएं मिलने लगी।
सवाल : उदयपुर रेंज में शराब तस्करी अधिक है, इस पर कैसे कंट्रोल कर रहे हैं ? जवाब : गुजरात में शराब पर प्रतिबंध है। ऐसे में राजस्थान बॉर्डर पर शराब के ठेके सबसे महंगे होते हैं। आबकारी विभाग चाहता है कि अधिक शराब बिके, पुलिस चाहती है कि तस्करी न हो। हरियाणा तक से शराब यहां तक आती है। ऐसे मामलों में पुलिस के पास आने वाली सूचनाओं पर कार्रवाई की जाती है। कई बार व्यावहारिक समस्या के चलते सभी वाहनों की पूरी जांच करना मुश्किल होता है। जिन मामलों में पिन प्वाइंट सूचना होती है, उनमें पुलिस जब्ती में सफल हो पाती है।
सवाल : पूरे उदयपुर रेंज में यातायात बड़ी समस्या है, इसके लिए क्या कर रहे हैं ? जवाब : कुछ चीजें एनफोर्समेंट से सुधरेगी। समय के साथ आबादी बढ़ी है, वाहनों की संख्या बढ़ी है। लेकिन ट्रेफिक पुलिस का जाप्ता उस तुलना में नहीं बढ़ा। इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजे हुए हैं। इसके अलावा उदयपुर में हमने प्रशासन के सहयोग से रास्ते चौड़े करने सहित अन्य प्रयास किए जा रहे हैं। भविष्य में ट्रेफिक व्यवस्था को पूरी तरह टेक्नोलोजी बेस्ड करने की योजना है। ताकि एनफोर्समेंट की समस्या भी दूर हो और इससे यातायात पुलिस व आमजन के बीच टकराव की घटनाएं भी कम होगी।
सवाल : महिलाएं अपनी शिकायत कहां करे ? जवाब : गरिमा हेल्प लाइन हमने सिर्फ महिलाओं के लिए ही बनाई है। महिलाएं 112 या 100 नंबर पर कॉल कर अपनी शिकायत कर सकती है। उन्हें अलग-अलग नंबर याद रखने की आवश्यकता नहीं, इन नंबर पर बात कर कहें कि हमारी महिला से बात करा तो संबंधित डेस्क पर उनकी बात करा दी जाएगी। इसके अलावा प्रत्येक थाने पर महिला डेस्क अलग से बना रखी है। जिला मुख्यालय पर महिला थाना है। हर थाने पर एनजीओ के माध्यम से महिला सुरक्षा सलाहकार केंद्र बनाए गए हैं।