शहर के दूसरे रोप-वे की प्रक्रिया साल 2022 के अंत में शुरू हुई थी। बीते साल इसका निर्माण चला। शुरुआत में पहाड़ी के ऊपरी छोर पर टावर खड़े किए गए। उस समय तक स्पष्ट नहीं था कि रोप-वे की लाइन फिल्टर प्लांट के ऊपर से गुजरेगी। जब नीचे की तरफ टावर बनाए गए तो जलदाय विभागीय कार्मिकों को पता चला। इस पर फिल्टर प्लांट के कार्मिकों ने तत्कालीन जेइएन को सूचना दी। जेइएन की ओर से एइएन, एक्सइएन और एसइ को इसके बारे में बताया गया। लेकिन, ऊपरी लेवल पर अधिकारियों ने कार्मिकों की आपत्ति को अनदेखा करके रोप-वे का निर्माण होने दिया।
करीब 28 साल पुराना प्लांट नीमच माता की पहाड़ी पर बना फिल्टर प्लांट करीब 28 साल पुराना है। वर्ष 1996 में इसकी स्थापना हुई थी। यहां से शहर के करीब 30 फीसदी हिस्से में जलापूर्ति के लिए पानी फिल्टर किया जाता है। अभी तक इसकी क्षमता 11.5 एमएलडी (साढ़े 11 लाख लीटर प्रतिदिन) पानी फिल्टर किया जाता है। इसकी क्षमता बढ़ाते हुए 5 एमएलडी की क्षमता का फिल्टर प्लांट भी यहीं बनने की प्रक्रिया में है।
खतरा: क्लोरीन रिसाव घातक यों तो क्लोरीन गैस का इस्तेमाल पानी शुद्ध करने के लिए किया जाता है, लेकिन बड़ी मात्रा में गैस का रिसाव होना खतरनाक साबित हो सकता है। बीते सालों में जलदाय विभाग के पटेल सर्कल स्थित फिल्टर प्लांट से गैस का रिसाव हो गया था। उस समय क्षेत्र में दहशत का माहौल हो गया। कई लोगों को जी मिचलाने की तकलीफ होने लगी। गैस की वजह से आसपास के पेड़-पौधे झुलस गए थे।
आपत्ति के पत्र ऑफिस से गायब जलदाय विभागीय कार्मिकों ने फिल्टर प्लांट के ऊपर से रोप-वे की लाइन पर आपत्ति जताई थी। इस पर सहेलियों की बाड़ी स्थिति एइएन कार्यालय से विभागीय उच्चाधिकारियों से पत्राचार भी किया गया। हाल ही में इस विषय पर जन शिकायत होने पर फिर से वे पत्र ढूंढ़े गए, जो उच्चाधिकारियों को भेजे थे, लेकिन बड़ी बात है कि अब एइएन कार्यालय में वे पत्र नहीं मिल रहे हैं, जिनमें आपत्ति लिखी थी।
इनका कहना… रोप-वे निर्माण कार्य के दौरान जानकारी मिली थी कि लाइन फिल्टर प्लांट के ऊपर से गुजरेगी। इसकी जानकारी तत्कालीन अधीक्षण अभियांत को देकर मार्गदर्शन मांगा गया था, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में जलदाय विभाग की ओर से एनओसी जारी नहीं हुई है।
अखिलेश कुमार शर्मा, एक्एइएन, पीएचइडी