यह होनी चाहिए व्यवस्था
-मरीज को जो दवा चिकित्सक लिखे, उसकी जिम्मेदारी फार्मा स्टोर की हो। -मरीज को वो ही दवाई मिले जो चिकित्सक ने परामर्श में लिखी है। -मरीज का जब तक सही उपचार नहीं हो जाए, उसे अस्पताल में ही रखा जाए।
-मरीज को जो दवा चिकित्सक लिखे, उसकी जिम्मेदारी फार्मा स्टोर की हो। -मरीज को वो ही दवाई मिले जो चिकित्सक ने परामर्श में लिखी है। -मरीज का जब तक सही उपचार नहीं हो जाए, उसे अस्पताल में ही रखा जाए।
-जीवनरक्षक प्रत्येक दवा देने के आदेश जारी किए जाएं। -अब तक पुराने जो बिल लंबित है, उनका शीघ्र भुगतान किया जाए। -पेंशनर ऐसे स्थान पर बीमार हो जाए, जहां मान्यता प्राप्त हॉस्पिटल नहीं है तो आपात स्थिति में उसका भुगतान पुरानी व्यवस्था के अनुसार किया जाए।
Rajasthan Samachar : खामियां ये भी, जो कर रही आहत
-गंभीर बीमारी से पीडि़त होकर हॉस्पिटल में भर्ती की सीमा भी 5 दिन है। आगे भर्ती रहना चिकित्सक की दृष्टि से जरूरी है तो भी आरजीएचएस में कवर नहीं है।
-गंभीर बीमारी से पीडि़त होकर हॉस्पिटल में भर्ती की सीमा भी 5 दिन है। आगे भर्ती रहना चिकित्सक की दृष्टि से जरूरी है तो भी आरजीएचएस में कवर नहीं है।
-कोई भी पेंशनर बीमार है और यदि उसे हॉस्पिटल समय से अलावा परामर्श लेना है तो भुगतान करना होगा, जबकि आरजीएचएस में ऐसा नहीं होना चाहिए। -बुढ़ापे में दांत के उपचार की महत्ती आवश्यकता रहती है। लेकिन, कोई हॉस्पिटल इसके लिए मान्यता प्राप्त नहीं है, जबकि यह उपचार सबसे ज्यादा महंगा है।
-जिला स्तर पर समस्या समाधान के लिए नोडल ऑफिसर नहीं है, जो त्वरित समाधान कर सके। केंद्रीकृत व ऑनलाइन योजना होने से एकल पेंशनर परेशान है। Rajasthan News : यह जानें स्थिति
4.50 लाख पेंशनर प्रदेश में 07 लाख परिवार कुल हैं रजिस्टर्ड
4.50 लाख पेंशनर प्रदेश में 07 लाख परिवार कुल हैं रजिस्टर्ड
3500 मेडिकल स्टोर अधिकृत 200 से अधिक दवाएं बंद हुईं 600 निजी अस्पताल है संबद्ध टॉपिक एक्सपर्ट : सरकार का उपकार नहीं, सुविधा का हक
आरजीएचएस योजना सरकार की ओर से मुफ्त नहीं है। इसमें सेवानिवृत्त कर्मचारियों की ओर से सेवा में रहते और वर्तमान में सेवारत कर्मचारियों के वेतन से की जा रही कटौती के आधार पर सरकार भुगतान करती है। लेकिन, विडंबना यह है कि सरकार ने इसके अंतर्गत जीवन रक्षा की अनेक दवाइयां, जो पेंशनर के लिए आवश्यक है, उस पर बैन लगा रखा है। कोई डेंटल हॉस्पिटल मान्यता प्राप्त नहीं है, जबकि यह उपचार महंगा होता है। पेमेंट नहीं होने से दुकानदार दवा देने से भी इनकार कर देते हैं।-भंवर सेठ अध्यक्ष, पेंशनर समाज
आरजीएचएस योजना सरकार की ओर से मुफ्त नहीं है। इसमें सेवानिवृत्त कर्मचारियों की ओर से सेवा में रहते और वर्तमान में सेवारत कर्मचारियों के वेतन से की जा रही कटौती के आधार पर सरकार भुगतान करती है। लेकिन, विडंबना यह है कि सरकार ने इसके अंतर्गत जीवन रक्षा की अनेक दवाइयां, जो पेंशनर के लिए आवश्यक है, उस पर बैन लगा रखा है। कोई डेंटल हॉस्पिटल मान्यता प्राप्त नहीं है, जबकि यह उपचार महंगा होता है। पेमेंट नहीं होने से दुकानदार दवा देने से भी इनकार कर देते हैं।-भंवर सेठ अध्यक्ष, पेंशनर समाज