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उदयपुर

मिसाल : ग्रामीणों व स्कूली बच्चों ने गुरुजी के लिए 50 दिन में काट दिया पहाड़, खुशी से झूमे टीचर ने निभाया वादा

मिसाल : पढ़ाई के लिए स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने अपने टीचर से किया वादा निभाया। एक बड़ा पहाड़ 50 दिन में काट कर रास्ता बनाया। जानें पूरा मामला क्या है?

उदयपुरAug 26, 2023 / 12:10 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Precedent

स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने लोगों के लिए एक मिसाल दी। अपनी पढ़ाई में बाधा बन रहे पहाड़ को चीर कर उसमें रास्ता बना दिया। जब टीचर ने यह सुना तो उनका मन भर आया। साथ ही खुशी के आंसू उनकी आंखों से झलकने लगे। उन्होंने कहा जब बच्चों ने अपना वादा निभाया है तो अब मैं भी बच्चों को पढ़ाकर उन्हें बड़ा आदमी बनाने का रास्ता तैयार करूंगा। मामला उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य कोटडा उपखंड के खुदा ग्राम पंचायत का है। यहां पिपली खेत गांव के ग्रामीणों ने 50 दिन की कड़ी मेहनत से शिक्षकों के लिए पहाड़ी काटकर रास्ता बना दिया। दरअसल राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीपली खेत में टीचर समरथ मीणा पढ़ाते है। पर स्कूल तक पहुंचने में उनको एड़ी चोटी एक कर देना पड़ रहा था। स्कूल पहुंचने के लिए 2 बार नदी पार करनी पड़ती फिर छह किमी तक का उबड़ खाबड़ रास्ता तय करना पड़ता था। तब वो स्कूल पहुंचते थे।



दिक्कत की वजह से शिक्षक ट्रांसफर की जुगाड़ में लगा

इस दिक्कत को रोजाना भुगतने के बाद शिक्षक दशरथ मीणा का मन राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीपली खेत के स्कूल से उकता गया था। जिस वजह से अपना तबादला दूसरे स्कूल कराने के फिराक में पड़ गए। इस सूचना की भनक जब उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य कोटडा उपखंड के खुदा ग्राम पंचायत के ग्रामीणों और स्कूल के बच्चों को पड़ी तो वो निराश हो गए।

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50 दिन में बनाया रास्ता, शिक्षक बाइक से स्कूल पहुंचा

पर इसके बाद स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने शिक्षक दशरथ मीणा से यह वादा किया कि वे गांव में ऐसा रास्ता बनाएंगे कि 15 अगस्त को वो बाइक से स्कूल आएंगे। अपना वादा पूरा करने के लिए वे सभी अपने घरों से तगारी, फावड़ा, गैंती, हथौड़ा लेकर हर सुबह निकलते और 8 घंटे पहाड़ की खुदाई करते। यह सिलसिला करीब 50 दिन तक चला। 15 अगस्त को शिक्षक अपनी बाइक से स्कूल पहुंचा।

खुशी से झूमे शिक्षक दशरथ मीणा, कहा – यहीं रहूंगा

शिक्षक दशरथ मीणा ने गांववालों और स्कूली बच्चों के इस प्रयास की सराहना की। खुशी से झूमते हुए कहा, गांव वाले ने मेरी तकलीफ को समझा। रास्ता बना दिया। इससे बड़ा क्या हो सकता है। अब मैं यही रखकर बच्चों को शिक्षा दूंगा।

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