वहीं, कश्मीर का रौफ डांस, जो वहां वसंत ऋतु में उमंग और उत्साह से किया जाता है, ने भी खूब तालियां बटोरी। इसके साथ ही तीन फुट लंबे अनूठे ढोलों के लिए प्रसिद्ध आदिवासी वांगला डांस ने मेघालय, बधाइयों के प्रतीक गिद्दा डांस ने पंजाबी तथा हरियाणवी घूमर ने हरियाणा की कल्चर से दर्शकों को रू-ब-रू कराया। इसी तरह, गले में बड़ा पुंग (ढोल) बजाते हुए घूमती जंप ले-लेकर नृत्य करते नर्तकों के आकर्षक पुंग चोलम डांस ने मणिपुरी संस्कृति को जीवंत कर दिया।
250 कलाकारों के फिनाले ‘धरती धोरां री…’ से शानदार समापन
उत्सव की अंतिम शाम का फिनाले आइटम अनूठा और मनभावन रहा। इसमें 250 लाेक कलाकारों ने रहीस भारती के निर्देशन में शानदार प्रस्तुति से समां बांधा। इस पेशकश में ‘धरती धोरां री… आ तो सुरगां नै सरमावै, ईं पर देव रमण नै आवै, ईं रो जस नर नारी गावै… धरती धोरां री’ गाने पर सुपर फ्यूजन ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।
कलाकारों और अतिथियों को किया सम्मानित-
प्रस्तुतियों के बाद पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता व अतिथियों ने कलाकारों को पोर्टफोलियो प्रदान किया और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इसके साथ ही निदेशक ने अतिथियों का स्मृति चिह्न भेंट कर शॉल ओढ़ाकर बहुमान किया।