… तो नहीं मिल पाएगा मुआवजा
यदि रसोई गैस कनेक्शन में किसी तकनीकी खराबी के चलते कोई हादसा हो जाता है तो उसे सुरक्षा जांच के अभाव में क्लेम नहीं मिल पाएगा। इसलिए प्रत्येक गैस उपभोक्ता को इन गैस कनेक्शनों की जांच जरूर करवानी चाहिए ताकि घर-परिवार सुरक्षित रहे। बताया जा रहा है कि गैस के हादसे से मृत्यु होने पर कंपनियों की ओर से छह लाख रूपए का मुआवजा प्रदान किया जाता है। ऐसे में घर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियमानुसार सुरक्षा की जांच करवानी चाहिए।
कंपनियों की जिम्मेदारी, खुद जाकर करें जांच
गैस कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे स्वयं अधिकृत उपभोक्ता के घर जाकर सुरक्षा की जांच करे। गैस से जुडे़ इश्यू देखे। लेकिन उपभोक्ता वितरक को सूचना देकर घर पर इसकी जांच करवा सकता है। जांच के लिए वितरक का मैकेनिक घर आकर गैस चूल्हा, रबर पाइप, रेगुलेटर, सिलेंडर तथा संबधित सभी उपकरणों की गंभीरता से जांच करता है। वह उपभोक्ता को रसोई गैस का सुरक्षित उपयोग करने की जानकारी भी देता है।
ये भी आती है समस्या
इधर कंपनियों के अधिकारियों और वितरकों का कहना है कि उनके यहां से मैकेनिक नियमित रूप से जांच करने उपभोक्ताओं के घर जाते हैं, लेकिन वे मना कर देते हैं। इसके पीछे कारण ये है कि उपभोक्ता जांच शुल्क और अन्य खर्च के डर से मैकेनिक को इनकार कर देते हैं। इस कारण घरेलू गैस उपकरणों की जांच तक नहीं हो पाती है।
उज्वला के 59 और अन्य गैस कनेक्शनों पर 236 रुपए का चार्ज
अनिवार्य सुरक्षा जांच को लेकर रसोई गैस कंपनियां उपभोक्ता से जीएसटी सहित कुल 236 रुपए शुल्क वसूल करती है। जिसकी बाकायदा रशीद भी उपलब्ध कराई जाती है। उज्वला योजना में जांच करवाने पर मात्र 59 रूपए का भुगतान ही लिया जाता है।
बीमा क्लेम के काम आती है जांच रशीद
रसोई गैस उपकरणों में तकनीकी खराबी से यदि कोई हादसा हो भी जाता है तो रुपए लेकर दी गई जांच रशीद बीमा क्लेम के काम आती है। साथ ही गैस कंपनियां उपभोक्ता और उनके परिजन का निशुल्क बीमा करती है। यदि कोई हादसा हो जाता है तो वह जांच के बाद हादसे की गंभीरता के मद्देनजर मुआवजा तय करती है।
फर्जी मैकेनिकों से रहें सावधान
गैस उपभोक्ताओं को फर्जी मैकेनिकों से सावधान रहने की बात भी कही है। ये कंपनी का प्रतिनिधि बताकर घरों में उपकरणों की जांच करने लग जाते हैं। जांच के बाद खुद की छपी रसीद देकर रूपए ऐंठ लिए जाते हैं। लेकिन ये लोग जांच करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। इनकी जांच कंपनी के रिकॉर्ड में भी दर्ज नहीं की जा सकती है।
क्या करे उपभोक्ता
फर्जी मैकेनिक यदि उपभोक्ता के घर पर आ भी जाए तो परेशान ना हों। इससे पहले अपनी अधिकृत गैस एजेंसी पर फोन करके पहले पूरी जानकारी हासिल करें। यदि कंपनी के प्रतिनिधि हैं तो जांच करवाएं वरना उन्हे घर में प्रवेश से इनकार कर दें। ताकि उपभोक्ता फ्रॉड से बच सके।
इनका कहना है
पांच वर्ष में एक बार सुरक्षा जांच करवानी चाहिए। इसके अलावा पांच साल में एक बार टयूब जरूर बदलें। जरूरत पड़ने पर अधिकृत वितरक से परीक्षण अनिवार्य रूप से करवाएं। हम मैकेनिक निरीक्षण के लिए भेजते हैं, लेकिन उपभोक्ता इसमें रूचि नहीं दिखाते हैं।
– श्लोक गुप्ता, नोडल अधिकारी, एलपीजी सेल्स एरिया, उदयपुर