आगे उन्होंने कहा कि मेरे अंदर अपनी कुछ खासियत है। कई बार एजेंट्स और कास्टिंग डायरेक्टर बिना सोचे-समझे कोई भी स्क्रिप्ट मुझे भेज देते थे। आपसे उम्मीद की जाती थी कि आप किसी भी स्क्रिप्ट पर एक्ट करें, लेकिन, मैंने कभी रिजेक्शन को खराब तरीके से नहीं लिया।
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दिव्या ने आगे कहा कि बनूं मैं तेरी दुल्हन के बाद एक ऐसी छवि बन गई थी विद्या और दिव्या (दिव्यांका के किरदार) की। इस शो में मुझे तुलसी (क्योंकि सास भी कभी बहू थी) और पार्वती (कहानी घर घर की) की तरह टाइपकास्ट किया गया था। इसके बाद कई शो के मेकर्स ने मुझे कास्ट करना बंद कर दिया था। उनका कहना था आप तुलसी और पार्वती जैसी हो गई हैं, इसलिए हम आपको फिर से कास्ट नहीं कर सकते, कोई आपको नहीं देखेगा।
कई कहते कि तुम भाभी, बहन या बीवी के किरदार मं ही अच्छी लगती हो। मुझे ऐसे ही रोल मिल रहे थे। हां कई बार लगता था कि अपना सामान बांधकर भोपाल वापस लौट जाऊं। लेकिन, कुछ चीज ने मुझे रोके रखा। शायद ये अलौकिक ताकत थी। भगवान मुझे यहां पर चाहते थे।