सीजन की अब तक कुल 363 एम एम बारिश दर्ज की जा चुकी है। जिसके कारण बांध का गेज शनिवार सुबह छह बजे तक 12 सेमी व दस बजे तक 14 सेमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जिससे बांध का जलस्तर सुबह दस बजे तक 310.23 आरएल मीटर हो चुका है। जो 11.433 टीएमसी जल भराव है। साथ ही अभी भी पानी की आवक बनी हुई है।
पिछले सप्ताह भी बीसलपुर पर मेघ मेहरबान हुए थे और कुछ ही घंटों में बांध का जल स्तर करीब 50 सेंटीमीटर तक बढ़ गया था। बारह से पंद्रह घंटे की लगातार बारिश के बाद बांध में एक टीएमसी पानी की आवक दर्ज की गई थी। बांध में आया पानी तीनों शहरों में पचास दिनों तक जलापूर्ति का पानी माना गया है। इतना पानी सिर्फ बारह घंटे में आ गया था।
अब तक अगस्त में ही छलका है बीसलपुर बांध
बीसलपुर बांध परियोजना के अनुसार बांध की कुल जलभराव क्षमता 315.50 आरएल मीटर है । जिसमें 38.70 टीएमसी जल भरता है। पूर्ण जलभराव में कुल 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाती है जिसमें कुल 68 गांव डूब में आते हैं। अभी महज 8 हजार हेक्टेयर भूमि में ही पानी भरा हुआ है। शेष भूमि अभी तक खाली है। बांध बनने के बाद से लेकर अब तक अक्सर अगस्त माह में ही पूर्ण जलभराव होकर छलका है। इस बार जुलाई माह में भी मेघ मेहरबान रहे हैं।कैचमेंट एरिया में बारिश होना जरूरी
बांध के कैचमेंट एरिया में पड़ने वाले भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, अजमेर जिलों में अभी मानसून की बेरुखी बनी हुई है। जिससे जलभराव की गति अभी धीमी है। इन जिलों में मानसून की मेहरबानी पर बांध का जलभराव निर्भर करता है । जहां से पानी की आवक अभी नगण्य बनी हुई है। इस बार जुलाई माह में बांध के निकटवर्ती क्षेत्र में हो रही बारिश के चलते ही आवक बनी हुई है। बांध में अधिकांश पानी की आवक अगस्त माह से शुरू होती है। जो बनास, खारी व डाई नदियों के जरिए होती है। लेकिन इस बार प्रदेश में लगातार अच्छे मानसून के चलते जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई की शुरुआत से जलभराव एरिया में हो रही बारिश से बांध का जलस्तर बढ़ने व अभी मानसून सत्र का अगस्त माह बाकी होने से इस वर्ष बांध के पूर्ण जलभराव होने की उम्मीद बनी हुई है।