इस मंदिर को लेकर एक कथा बेहद प्रचलित है जिसके अनुसार कहा जाता है कि एक बार नेवल के राजा को भगवान शिव ने सपने में आकर पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह स्थापित करने के आदेश दिए। भगवान शिव से आदेश प्राप्त करने के बाद राजा ने इस कार्य को प्रारंभ किया और जब पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह का निर्माण हो गया, तो रथ पर इन्हें लेकर नगर में प्रवेश किया जाने लगा।
तभी अचानक रथ का पहिया जमीन में धंसने लगा और लाख प्रयास के बाद भी रथ के पहिए को जमीन से नहीं निकाला जा सका। अंत में राजा ने उसी स्थान पर शिवलिंग, नंदी और नवग्रह की स्थापना कर भव्य मंदिर का निर्माण कराया। वहीं भगवान शिव द्वारा बोध कराए जाने के कारण इस मंदिर को ‘बोधेश्वर महादेव’ का मंदिर कहा जाता है।
इस मंदिर की बनावट बेहद खूबसूरत है और इसे 15वीं शताब्दी की कलाकृति कही जाती है। मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग के पत्थर के विषय में कहा जाता है कि यह पत्थर दुर्लभ है और 400 साल पहले विलुप्त हो चुका है। अब धरती पर यह पत्थर नहीं मिलते हैं। वहीं नंदी और नवग्रह में जो पत्थर लगे हैं, उन पर पाषाण काल की पच्चीकारी की गई है, जो अपने आप में अद्भुत है।
यहां के रहने वाले स्थानीय लोग कहते हैं कि आधी रात को हजारों की संख्या में इस मंदिर में सांप आते हैं और शिवलिंग के स्पर्श के बाद वापस जंगलों की तरफ चले जाते हैं। हालांकि लोग इस बात को भी बताते हैं कि आज तक इन सांपों द्वारा स्थानीय लोगों को हानि नहीं पहुंचाई गई है। ये सांप चुपचाप आते हैं और शिवलिंग के स्पर्श के बाद वापस अपने धाम को चले जाते हैं।
इस मंदिर के विषय में यह भी प्रचलित है कि लोग यहाँ आकर मंदिर के शिवलिंग को स्पर्श करते हैं और उनके लम्बे समय से चले आ रहे असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।