लड्डू का लगता है भोग
नीली छतरी की विशेषता इस मंदिर की सुंदरता को और बढ़ा देती है। नीली छतरी एक गुम्बद है जो कि नीले रंग के पत्थर से बना हुआ है। लोगों के अनुसार किसी समय में ये नीलम पत्थर से बना मंदिर था। रात के समय में चन्द्रमा की रोशनी जब नीले पत्थर पर पड़ती थी, तब इसके प्रकाश से आसपास का माहौल नीला हो जाता था। इसी कारण इस मंदिर का नाम नीली छतरी मंदिर पड़ गया था। इस मंदिर में गुंबद के नीचे भगवान शिव की पूजा की जाती है और वहीं ऊपर मंदिर के अलग देवताओं को पूजा जाता है। मंदिर को लेकर माना जाता है की व्यक्ति की मनोकामना पूर्ति के लिए उसे शिव जी को यहां पांच लडडू का प्रसाद चढ़ाना होता है। भोलेनाथ को इस चीज़ का प्रसाद चढ़ाने से उक्त व्यक्ति की सारी इच्छाएं व मुरादें पूरी हो जाती है।
सावन में रहता है विशेष महत्व
मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय सावन व शिवरात्रि का होता है। सावन के पावन माह में मंदिर बहुत ही अच्छे से सजाया जाता है व यहां भक्तों की भीड़ से मंदिर व आसपास का माहौल शिवमय हो जाता है वहीं भक्तों द्वारा भोले के जयकारें मन को प्रसन्न कर देते हैं। सावन माह में यह मंदिर भक्ति गतिविधियों से भरा होता है। सोमवार के दिन विशेष रूप से भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्त आते क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन होता है।
दिल्ली में यहां स्थित है मंदिर
यह मंदिर युमना बाजार क्षेत्र, सलीमघढ किले, रिंग रोड़, कश्मीरी गेट, नई दिल्ली में स्थित है। मंदिर के एक तरफ महात्मा गांधी रोड़ है जहां से मंदिर के ऊपर बने गुंबद में जाया जा सकता है और दूसरी तरफ सड़क है जिसको लोहे वाले पूल की सड़क के नाम से जाना जाता है जो पुरानी दिल्ली से गांधी नगर जाती है। इस सड़क पर मंदिर का मुख्य द्वार है।