मंदिर

शिव मंदिर – जहां पत्थरों को थपथपाने पर आती है डमरू की आवाज

तमाम शोधों के बावजूद इनके रहस्यों का पता तक नहीं…

Mar 01, 2021 / 12:18 pm

दीपेश तिवारी

Miraculous and mysterious Temple of lord shiv

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो चमत्कारी और रहस्यमयी माने जाते हैं। यहां तक की कई मंदिरों पर तो वैज्ञानिकों द्वारा तमाम शोधों के बावजूद इनके रहस्यों का पता तक नहीं चल सका।

ऐसे में आज सोमवार को हम आपको एक ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अगर रहस्यमयी कहें तो गलत नहीं होगा। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि, इस मंदिर में मौजूद पत्थरों को थमथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है।

दरअसल इस शिव मंदिर के बारे में दावा किया जाता है कि, यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है, जिसे जटोली शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है। मंदिर का भवन निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना है, जो देखते ही बनता है।

इस मंदिर में मौजूद पत्थरों को थमथपाने पर आने वाली डमरू जैसी आवाज के संबंध में लोगों का मानना है कि ये भगवान शिव की मौजूदगी को दर्शाता है। यही वजह है कि भोलेनाथ के इस दर पर आने से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता। उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर की खूबसूरती और कलात्मकता को देख हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है।

मान्यता के अनुसार पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे और कुछ समय के लिए रहे थे। बाद में 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए। जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ।

साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी थी। हालांकि 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य रूका नहीं बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी।

दान के पैसों से हुआ निर्माण
इस मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में करीब 39 साल का समय लगा। करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसका निर्माण देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान के पैसों से हुआ है।

यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का समय लगा। इस मंदिर में हर तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है।

इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है, जो इसे बेहद ही खास बना देता है।

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