मंदिर

पौराणिक शिव मंदिर : यहां बांज के जंगल में बसते हैं भोले बाबा

– यहां शिवलिंग पर है चोट का निशान, जहां से फूट पड़ी थी खून की धारा
– देश विदेश में कई जगहों पर भगवान शंकर के अनेक ऐसे मंदिर आज भी मौजूद हैं, जहां वर्तमान में भी चमत्कार देखने को मिलते हैं।

Nov 27, 2022 / 04:09 pm

दीपेश तिवारी

सनातन धर्म में संहार के देवता भगवान शिव आदि पंच देव व त्रिदेवों में से एक प्रमुख देव है। देश विदेश में कई जगहों पर भगवान शंकर के अनेक मंदिर मौजूद हैं। जिनमें से कई में आज भी चमत्कार देखने को मिलते हैं।

ऐसा ही एक मंदिर देवभूमि उत्तरखंड में भी मौजूद हैं। वहीं इस देवभूमि के कण कण में देवताओं का वास है। ऐसे में आज हम आपको देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक अनोखे शिव मंदिर, सितेसर महादेव मंदिर के बारे में बता रहे हैं। जिसके शिवलिंग में चोट का निशान भी मौजूद है?

दरअसल देवभूमि उत्तराखंड अल्मोड़ा जिले के प्रसिद्ध हिल स्टेशन रानीखेत से लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर रानीखेत मनान रोड पर गोलुछिना नामक एक स्थान है। उसी के पास लगभग एक किलोमीटर अंदर बाज के शांत जंगल में भगवान भोलेनाथ सितेसर महादेव के रूप में निवास करते हैं।

जिसको स्थानीय भाषा मे सितेसर का मंदिर भी कहा जाता है। इसके पास बसयूरा और चिनोना नामक गांव भी स्थिति हैं। इस मंदिर के नजदीक स्थानीय बाजार, एक तो गोलुछिना बाजार है। और दूसरी नजदीकी बाजार गोविंदपुर बाजार है। महादेव का यह मंदिर घने बाज के जंगल मे स्थिति है। यह मंदिर प्रकृृृति की शांत वातावरण मेंं बसा है। यहां पहुंच कर आलौकिक शांति एवं सुकून का अहसास होता है।

यहां हर दिन पूजा पाठ होने के साथ ही शिवरात्रि पर प्रसिद्ध मेला लगता है। यह मंदिर भगवान शिव के चमत्कारी मंदिरों में से एक है, यह सितेसर का मंदिर, इस मंदिर की अनेक लोककथाएं, जनश्रुतियां प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि, इसके शिवलिंग पर कुल्हाड़ी की चोट का निशान है। अर्थात शिवलिंग धारदार हथियार से काटा गया है।

सितेसर महादेव के शिवलिंग पर चोट का निशान है। आखिर यह चोट का निशान कैसे हुआ ? इस पर एक जनश्रुति और लोक कथा प्रसिद्ध है –

जिसके अनुसर पहले के जमाने में, यह क्षेत्र एकदम घना बाज का जंगल था। जो अभी भी है। स्थानीय गांव के लोग यहां लकड़ी काटने के लिए आते थे। एक बार एक आदमी ने बाज का पेड़ ढाह रखा था, औऱ उसी पर से वो लकड़ी काट रहा था। लकड़ी काटते हुए अचानक उसकी कुल्हाड़ी छिटक कर जमीन में धंस गई। और जहां उसकी कुल्हाड़ी धसी वहीं से खून की धारा फूट गई। यह घटना देख कर वह आदमी एकदम डर गया, आश्चर्य चकित हो गया। उसकी समझ मे नहीं आ रहा था, कि आखिर जमीन के अंदर से खून क्यों और कैसे आ रहा है? उसने जल्दी जल्दी अपने आस पास लकड़ी काट रहे अन्य लोगों को बुलाकर वह घटना दिखाई।

सभी लोग आश्चर्य चकित हो गए। फिर सब लोगों ने उस स्थान पर ,जहं जमीन से खून आ रहा था,वहां खोद कर देखा तो ,वहां एक शिवलिंग निकला, कुल्हाड़ी की चोट की वजह से, उस शिवलिंग का कुछ भाग कट चुका था, और उसी कटे भाग से खून निकल रहा था।


भगवान भोलेनाथ का यह अनोखा चमत्कार देख सबकी आंखे फटी की फटी रह गई। धीरे धीरे यह बात सारे क्षेत्र में फैल गई। फिर उसी स्थान पर भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर सिधेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की गई। जिसको स्थानीय भाषा मे सितेसर का मंदिर भी कहते हैं।

ऐसे पहुंचे सिधेश्वर महादेव मंदिर
प्रसिद्ध सिधेश्वर महादेव मंदिर या सितेसर मंदिर जाने के लिए हल्द्वानी से जाया जा सकता है। हल्द्वानी से अल्मोड़ा बाजार और अल्मोड़ा से स्थानीय बाजार गोविंपुर तक टैक्सी या बस से जा सकते हैं। गोविंदपुर से थोड़ा पैदल जाना पड़ सकता है।

­सितेसर मंदिर जाने के लिए सबसे आसान रास्ता रानीखेत का रास्ता है। इससे आप अल्मोड़ा या हल्द्वानी से रानीखेत बाजार पहुंच जाइये वहां से गोलुछिना नामक स्थान के लिए टैक्सी पकड़ लें। गोलुछिना से बस 1 से आधा किमी अंदर प्रकृति की शांत गोद में बसा है, भगवान भोले का सिधेश्वर मंदिर या सितेसर मंदिर।

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