1. मथुरा
जन्माष्टमी के त्योहार की बात हो तो मथुरा का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि मथुरा कान्हा की जन्मभूमि कहलाती है। इसलिए यह स्पष्ट सी बात है कि यहां होने वाला जश्न अन्य सभी स्थानों में सबसे बड़ा होता है। यही वह स्थान है जहां घनघोर अंधेरी रात में देवकी ने नंदलाला को कारागार में जन्म दिया था। इस दिन मथुरा में कृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी से सुबह-सुबह स्नान कराया जाता है और फिर नए कपड़े पहना कर, आभूषणों से सुसज्जित कर झूला झुलाया जाता है। केवल मंदिर ही नहीं मथुरा के हर घर में छोटे-छोटे झूले लगाए जाते हैं और उनमें कन्हैया की मूर्ति को झुलाया जाता है। सांझ के समय घंटों की घनघोर ध्वनियों, शंखनाद, भजन-आरती आदि से पूरा वातावरण भक्ति रस में डूब जाता है।
2. वृंदावन
माखनचोर के जन्मदिवस की तैयारी तो यहां 10 दिन पहले ही प्रारंभ हो जाती है। वृंदावन वह स्थान है जहां कन्हैया, राधा और गोपियों के साथ अठखेलियां करते हुए बड़े हुए थे। वृंदावन मथुरा से केवल 15 किलोमीटर ही दूर है। जन्माष्टमी के दिन यहां मंदिरों के साथ पूरा शहर रोशनी से जगमगाता है। गोविंद देव जी मंदिर यहां प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। जन्माष्टमी का त्योहार बेहद उत्साह और भक्ति से मनाने के कारण वर्ष के इस समय यह स्थान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है।
3. मुंबई
वैसे तो यह शहर अपनी चकाचौंध भरी जीवन शैली, पार्टियों, बॉलीवुड एवं भारत के सर्वश्रेष्ठ महानगरों में से एक के रूप में जाना जाता है। लेकिन गणेश चतुर्थी और जन्माष्टमी यह दो ऐसे त्योहार हैं जिन्हें मुंबई में अपने अलग ही भव्य अंदाज में मनाया जाता है। यहां होने वाली दही हांडी अपनी अलग ही छटा बिखेरती है जिसमें बड़े-बड़े समूह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं तथा जीतने वाले समूह को कई तरह के इनाम भी दिए जाते हैं। दही हांडी का कार्यक्रम काफी बड़े पैमाने पर लोकप्रिय होने के कारण आज एक व्यापारिक मामला बन गया है। मुंबई के जुहू में इस्कॉन मंदिर गोकुलाष्टमी के अवसर पर देखने लायक होता है।
4. उडुपी
कर्नाटक के उडुपी स्थित एक कृष्ण मंदिर अपनी आश्चर्यजनक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां जन्माष्टमी का त्योहार कलात्मक और सांस्कृतिक ढंग से मनाया जाता है। कृष्ण के बचपन की लीलाओं को दिखाते हुए यहां के स्थानीय कलाकार विभिन्न संस्करणों का प्रदर्शन करते हैं। नंदलाला के जन्म दिवस पर कटहल के पत्तों पर स्टीम इडली को स्थानीय भोजन के रूप में परोसा जाता है। साथ ही जगह-जगह कठपुतली मंडली भी अपना प्रदर्शन करती है।
5. केरल
वैसे तो केरल अपने हरे-भरे वातावरण, पहाड़ियों तथा प्रकृति के सुंदर नजारों के लिए पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। लेकिन केरल के गुरुवायूर शहर में स्थित एक गुरुवायूर मंदिर जन्माष्टमी के अवसर पर जीवंत हो उठता है। इस मंदिर में श्रीकृष्ण की मूर्ति की चार भुजाओं में क्रमशः कमल, गदा कौमोदकी, सुदर्शन चक्र और शंख पाँचजन्य हैं। व्यंजनों में यहां पालपयसम और अप्पम परोसे जाते हैं। गोकुलाष्टमी पर पूरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाच-गाना देवकीनंदन के जन्मदिवस की शोभा को और बढ़ा देते हैं।