किले में मंदिर का निर्माण निर्माण 286 साल पहले सन 1737 में तत्कालीन सिंधिया स्टेट की जागीरदार बालाबाई सीतोले ने कराया था। इसके लिए सुतोले खुद ही पुणे से मूर्ति लेकर यहां आई थी, और इस तरह से किले में मंदिर का निर्माण कर मूर्ति स्थापित की गई थी कि वे खिड़की से झांके तो बप्पा के दर्शन हों।
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ऐसे पूजा करने पर मिलता है मनचाहा वरः मान्यता है कि श्रीजी के मंदिर जाकर भगवान गणेश से प्रार्थना करने पर लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसीलिए यहां कुंवारी लड़कियां गुहार लगाने आती हैं। हालांकि इसके लिए इन युवतियों को गणपति बप्पा के सामने खड़े होकर अपने मनचाहे वर के गुणों का बखान करना होता है और श्रीफल चढ़ाना होता है। ऐसा करने पर विघ्ननाशक युवतियों की मनोकामना पूरी कर देते हैं।
ऐसे पूजा करने पर मिलता है मनचाहा वरः मान्यता है कि श्रीजी के मंदिर जाकर भगवान गणेश से प्रार्थना करने पर लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसीलिए यहां कुंवारी लड़कियां गुहार लगाने आती हैं। हालांकि इसके लिए इन युवतियों को गणपति बप्पा के सामने खड़े होकर अपने मनचाहे वर के गुणों का बखान करना होता है और श्रीफल चढ़ाना होता है। ऐसा करने पर विघ्ननाशक युवतियों की मनोकामना पूरी कर देते हैं।
अपनी बात कहने के लिए विवश हो जाते हैं भक्तः श्रीजी के इस मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि कोई भक्त बप्पा की मूर्ति को आंख भरकर देख ले तो उसके मन में छिपी इच्छा बप्पा के सामने जाहिर हो जाती हैं और बप्पा की मनमोहक छवि भक्त को मन की बात कहने के लिए विवश कर देती है और प्रार्थना करने पर श्रीजी भक्त की मुराद पूरी कर देते हैं। यहां विदेश से भी गणेशजी के भक्त आते हैं।