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5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के लिए पूजा अर्चना की व्यवस्था बिहार जनसेवा संघ ने डोकमर्डी खाड़ी पर 5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के लिए पूजा अर्चना की व्यवस्था की है। डोकमर्डी घाट पर पेयजल, रोशनी एवं प्राथमिक पेटी रखी है। नदी किनारे साफ सफाई करके स्ट्रीट लाइट लगाई हैं। षष्ठी पूजा के लिए व्रती दोपहर बाद घाटों पर जुटने लगेंगे। अथाल दमणगंगा किनारे ऑल इंडिया पीपल्स एसोसिएशन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं पूजा अर्चना के लिए टेंट लगाकर व्यवस्था की हैं। यहां छठी मईया की पूजा के लिए 10 हजार से अधिक श्रद्धालु जुटने का अनुुमान है। छठ पूजा के दौरान अथाल ब्रिज से करीब 500 मीटर दूरी तक श्रद्धालुओं का जमघट लग जाता है। रिवर फ्रंट बनने से श्रद्धालुओं को पूजन में आसानी हो गई है। अच्छी बारिश से नदी में ऊंचाई तक पानी भरा है, जिससे व्रतियों को पानी में गहराई तक जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बाविसा फलिया व पिपरिया खाड़ी किनारे सूर्य पूजा के लिए आयोजकों ने रोशनी, पूजन सामग्री व सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। पिपरिया में खाड़ी के दोनों ओर छठ मैया की पूजा होगी। मसाट में जहां खाड़ी नहीं है, वहां नहर किनारे श्रद्धालुओं ने वेदी तैयार की हैं। खरना के साथ कई व्रतियों ने आज से नदी नालों के घाट सूर्य उपासना आरम्भ कर दी है। खरना पर महिलाओं ने लोकगीत गाए।
पूजा सामग्री-सूर्य पूजन में बांस की बनी टोकरी, ठेकुआ, गन्ना, केलों का गुच्छा और नारियल का होना चाहिए। व्रती पूजन सामग्री बांस की टोकरी में भरकर घाट पर जाते हैं और एक एक प्रसाद का अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अघ्र्य देते हैं। पंडितों के अनुसार इस बार छठ पर्व के साथ अच्छे संयोग बन रहे हैं।
पूजा सामग्री-सूर्य पूजन में बांस की बनी टोकरी, ठेकुआ, गन्ना, केलों का गुच्छा और नारियल का होना चाहिए। व्रती पूजन सामग्री बांस की टोकरी में भरकर घाट पर जाते हैं और एक एक प्रसाद का अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अघ्र्य देते हैं। पंडितों के अनुसार इस बार छठ पर्व के साथ अच्छे संयोग बन रहे हैं।