बरसों से अटका पड़ा पाल-उमरा ब्रिज का मामला हाइकोर्ट के दखल के बाद सुलझ गया था। ब्रिज को पूरा करने की तमाम अड़चनें दूर होने के संकेत मिलते ही मनपा प्रशासन ने भी मौके पर जाकर काम शुरू कर दिया था। मनपा टीम ने रास्ते में आ रही संपत्ति का कब्जा लेने के लिए अमल में लाई गई लाइनडोरी पर अमल की कवायद शुरू की उस सयम माना जा रहा था कि मानसून से पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसी बीच कोरोना संक्रमण के पांव पसारने और फिर लॉकडाउन के बाद मनपा प्रशासन का पूरा फोकस कोरोना से बचाव पर था। ऐसे में मनपा के दूसरे सभी कामों की रफ्तार थम गई थी
मंगलवार को मनपा आयुक्त बंछानिधि पाणि के कामकाज को दोबारा पटरी पर लाने के संकेत के बाद से ही माना जा रहा था कि पहले अटके हुए कामों को हाथ में लिया जाएगा। बुधवार को सुबह करीब 50 लोगों की टीम के साथ मनपा अधिकारी मौके पर पहुंचे और साइट पर निर्माण ढहाने का काम शुरू किया। यह ब्रिज बनने का सीधा असर सरदार ब्रिज और केबल ब्रिज पर पड़ेगा। पाल, पालनपुर, भाठा, अडाजण और रांदेर की बड़ी आबादी सरदार ब्रिज या केबल ब्रिज के बजाए तापी पर बनने वाले इस नए ब्रिज का उपयोग शुरू करेगी। डूमस, गौरव पथ और सिटीलााइट होते हुए उधना-मगदल्ला रोड आदि की ओर जोने के लिए यह ब्रिज बहुत उपयोगी साबित होगा।
गौरतलब है कि अठवा और अडाजण को जोडने वाले सरदार ब्रिज पर लगातार ट्रैफिक बढता देख मनपा प्रशासन ने तापी नदी पर केबल ब्रिज और पाल-उमरा ब्रिज का प्रस्ताव रखा था। बरसों तक अटकने के बाद किसी तरह केबल ब्रिज तो पूरा हो गया, लेकिन पाल-उमरा ब्रिज अब तक अधूरा पड़ा है। पाल-उमरा ब्रिज के निर्माण का काम दोबारा तभी शुरू हो पाना संभव था, जब अड़चन बन रही संपत्तियों को हटाया जा सके।
यह थी वजह रास्ते में आ रही संपत्तियों की लाइनडोरी पर अमल को लेकर मनपा प्रशासन लंबे समय तक असमंजस में रहा। कुछ लोग जगह देने को तैयार नहीं थे, जिस कारण ब्रिज का काम पूरा होने की तारीखें बार-बार आगे बढ़ रही थीं। लंबे विवाद और लोगों के विरोध के बाद पाल-उमरा ब्रिज के टेंडर को मनपा की स्थाई समिति में 23 जुलाई, 2015 को मंजूरी दी गई थी। ठेकेदार फर्म विजय मिस्त्री के 89 करोड़ रुपए के टेंडर को मंजूरी देते हुए इसे दो साल में पूरा करना तय किया गया था। ब्रिज की डिजाइन और स्थान बदलने को लेकर निर्माण दो से ढाई साल तक अटका रहा था। स्थाई समिति ने भी संपत्ति मालिकों के रवैये से तंग आकर अनिवार्य संपादन का निर्णय किया था।
10 फीसदी काम बाकी करीब 89 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहे पाल-उमरा ब्रिज के रास्ते में आ रही संपत्तियों के संपादन को छोड़कर बाकी भाग में मनपा प्रशासन ने काम शुरू करा दिया था। पाल से उमरा की ओर जाते समय नदी किनारे रास्ते में आ रही जमीनों के कारण काम अटका पड़ा था। विवादित स्थल तक आकर काम रुका पड़ा है। ब्रिज सेल को विवादित जगह मिलने का इंतजार था। लॉकडाउन 4 में छूट मिलते ही मनपा टीम ने पाल-उमरा ब्रिज की साइट पर काम कराना शुरू कर दिया।