सूरत

पाल-उमरा ब्रिज फिर स्थाई के एजेंडे पर

पिछले कई दिनों से चर्चित पाल-उमरा ब्रिज से जुड़े प्रस्ताव को एक बार फिर स्थाई समिति के एजेंडे पर लिया गया है। पाल-उमरा ब्रिज का…

सूरतJun 18, 2018 / 09:49 pm

मुकेश शर्मा

Pal-Umra Bridge on the permanent agenda

सूरत।पिछले कई दिनों से चर्चित पाल-उमरा ब्रिज से जुड़े प्रस्ताव को एक बार फिर स्थाई समिति के एजेंडे पर लिया गया है। पाल-उमरा ब्रिज का मामला मनपा प्रशासन के लिए गले की हड्डी बन चुका है। एसवीएनआईटी के समीप उमरा गांव और पाल को जोड़ता पाल-उमरा ब्रिज मनपा प्रशासन के लिए बरसों से सिरदर्द बना हुआ है।

रास्ते में अड़चन बन रहे उमरा के छह बंगलों की वजह से ब्रिज का काम आगे नहीं बढ़ रहा है। बीते कई टर्म से मनपा प्रशासन इसके प्रस्ताव को स्थाई समिति के एजेंडे पर रख रहा है। समिति इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं कर पाई और हर बार इसे लंबित रखा जाता रहा। इस बार की सामान्य सभा मौजूदा पदाधिकारियों की अंतिम बैठक है। माना जा रहा है कि माह के अंत में होने वाली सामान्य सभा में विपक्ष इस मामले पर सत्ता पक्ष को आड़े हाथों लेगा। इससे बचने के लिए एक बार फिर पाल-उमरा के प्रस्ताव को एजेंडे पर लिया गया है।

चेक रिटर्न मामले में छह महीने की कैद

चेक रिटर्न के मामले में आरोपित आर.ओ.प्लांट के व्यापारी को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए छह महीने की कैद की सजा सुना दी।अडाजण आनंद महल रोड के सनलाइट कॉम्प्लेक्स निवासी आर.ओ.प्लांट के व्यापारी जिज्ञेश चंद्रकांत देसाई के खिलाफ आनंद महल रोड की गिरीनगर सोसायटी निवासी कपड़ा दलाल राजू भीखू गोस्वामी ने अधिवक्ता प्रणव मेहता के जरिए कोर्ट में नेगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत शिकायत की थी। आरोप के मुताबिक जिज्ञेश और राजू के बीच दोस्ती थी।

जिज्ञेश ने राजू से 1.75 लाख रुपए उधार लिए। तीन महीने में रुपए लौटाने के वादे के मुताबिक उसने राजू को चेक दिए, जो बैंक में जमा करने पर रिटर्न हो गए। मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने जिज्ञेश देसाई को दोषी मानते हुए छह महीने की कैद की सजा सुनाई।

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