इस गैंग ने पिछले चार वर्षो के दौरान सूरत समेत गुजरात के अन्य शहरों में 50 से अधिक चोरी की वारदातों को अंजाम देना कबूल किया है, लेकिन सिर्फ चोरी की दस घटनाओं की पुष्टि हुई है। जिनमें से छह सूरत में, वलसाड़ में तीन और अहमदाबाद की एक वारदात शामिल है।
क्राइम ब्रांच के पुलिस निरीक्षक एल.डी. वागडिया ने बताया कि गिरोह का सूत्रधार निजाम सूरत के अडाजण व वडोदरा के मकरपुरा में हुई चोरी की दो वारदातों में लिप्त था। उसकी तलाश जारी थी। इस बीच मुखबिरों से इस गिरोह के रांदेर कोजवे निकट छिपे होने की सूचना मिलने पर पुलिस टीम ने उन्हें धर दबोचा। वे फिर किसी चोरी की घटना को अंजाम देने की फिराक में थे।
इनको पकड़ा :
पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर जिले माजरिया निवासी मोहम्मद निजाम शेख उर्फ आकाश (35), कोलकाता बड़ा बाजार निवासी मोहम्मद फारुख शेख उर्फ लिटोन (54), उत्तर चौबिस परगना जिले के दत्तपुगुर निवासी हालिम शेख (30), स्वरुपदाहू गांव निवासी हफीजुल मंडल (47) व आसाम के गुवाहाटी जिले के लालटीन गांव निवासी हसनान खान उर्फ सुमन (30) को गिरफ्तार किया है। इनके अलावा भी बंगाली गैंग में करीब सात और सदस्य हैं। गैंग में कुल एक दर्जन सदस्य है।
चोरी करने जाते, वहां खाना भी खाते :
बंगाली गैंग की मोडसऑपरेंडी (चोरी करने का तरीका) कुछ अलग थी। वे गूगल अर्थ के जरिए शहर ऐसे घरों का ढूंढते थे, जिनके आसपास झाडिय़ां और वीरान इलाका हो। फिर एक दो बार उसकी रेकी करते थे। उसके बाद चोरी वाले दिन स्कूल बैग में पेचकस, टॉर्च, पाना आदि औजार लेकर दो दो जनें एक साथ निकलते थे। शाम को निर्धारित घर के आसपास की झाडिय़ों में जाकर छिप जाते थे। रात में दो बजे के बाद वे निकलते और मुख्य दरवाजे की कुंडी तोड़ कर घर में घुस जाते थे। चोरी करते समय मकान में मौजूद खाने पीने की चीजों का उपयोग करते थे और बीडी पीते थे। मकान में कोई वाहन होता तो उसे चुरा कर भागते थे। उस वाहन को हाइवे पर छिपा कर रखते थे और फिर अगली चोरी में उस वाहन का उपयोग करते थे।
अजमेर में बनी थी गैंग बंगाली गैंग 2016 से सक्रिय है। इस गिरोह में कुल 10-12 सदस्य है। जिनकी मुलाकात राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह पर हुई थी। वहां से वे कीम दरगाह पर आए। यहां उन्होंने चोरी करना शुरू किया। वे वरेली और कीम में अलग अलग कमरे किराए पर लेकर रहते थे। फिर बस, रिक्शा आदि से सूरत समेत अन्य शहरों में जाकर चोरी करते थे। चोरी मिले सामान को मुंबई, अजमेर या स्थानीय सोनी को बेच देते थे। फिर बंगाल में अपने मूल निवास लौट जाते थे। दो-तीन माह के बाद फिर आते और फिर दो-चार जगह चोरी के करने के बाद बंगाल लौट जाते थे।
44 से अधिक चोरियों को अंजाम देना कबूला
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने चोरी की 44 से अधिक घटनाओं को अंजाम देना कबूल किया है। उन्होंने अहमदाबाद में 12, वडोदरा में 8, भरुच में 7, वलसाड़ में 6, सूरत ग्रामिण में 7, बिलीमोरा में 2 व नडियाद में 2 घटनाएं कबूली है। हालांकि इन घटनाओं का पुलिस रिकॉर्ड से पुष्टी नहीं हुई है। पुष्टी करने की प्रक्रिया जारी है।