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भोपाल

Moharram 2024: यहां बेगम शासकों ने शुरू की थी ताज़िए बनाने की परम्परा, किन्नर आज भी निभाते हैं दस्तूर

Moharram 2024: हजरत इमाम हुसैन की शहादत का महीना और मुस्लिम समुदाय का नववर्ष सोमवार 8 जुलाई से शुरू हो गया, 16 जुलाई को निकाला जाएगा जुलूस

भोपालJul 17, 2024 / 11:50 am

Sanjana Kumar

muhorram 2024

भोपाल में किन्नर निभाते हैं बेगम शासकों के ताजिया बनाने की परम्परा।

Moharram 2024: हजरत इमाम हुसैन की शहादत का महीना और मुस्लिम समुदाय का नववर्ष सोमवार 8 जुलाई से शुरू हो गया। मोहर्रम (Mohorram) पर जहां शहर में तकरीर और मजलिसों का सिलसिला हो जाता है। वहीं शहर में सैकड़ों स्थानों पर ताजिए रखे जाते हैं। मोहर्रम की 10 तारीख को शहर भर में जुलूस निकाला जा रहा है।
ताजिया रखने वालों में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो कई पीढ़ियों से ताजिए बना रहे हैं। इनमें से बुधवारा स्थित ताजिए खास हैं। करीब डेढ़ सौ सालों से शहर के किन्नर इन्हें तैयार करते हैं। मुहर्रम के दस दिन तक यानी सोमवार 8 जुलाई से 17 जुलाई तक बुधवारे में इसे रखा जाता है। उसके बाद विसर्जन किया जाता है।
इस साल भी ताजिए का निर्माण यहां हुआ है। मौके पर मिले किन्नरों का कहना है कि जब राजधानी में बेगमों का शासन था, उस दौर से यहां ताजिए बनाए जा रहे हैं। साल दर साल ये परंपरा चली आ रही है।

10 महीने पहले ही शुरू हो जाता है ताजिया बनाने का काम

ताजिए रखने किन्नर समाज के नीतू नायक बताते हैं कि ताजिया बनाने का काम 10 महीने पहले से ही शुरू कर दिया जाता है। तब भी योम ए आशूरा यानि मोहर्रम की 10 तारीख तक भी कभी-कभी काम चलता रहता है। खूबसूरत और एक से बढ़कर एक ताजिए लोगों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। ताजिया बनाने के लिए कागज,थर्माकोल, सोने, चांदी, लकड़ी, बांस, स्टील, कपड़े आदि का यूज किया जाता है।

2 महीने में बनाया 16 फीट का ताजिया

इस बार (Moharram 2024) की बात करें तो किन्नर समाज ने 16 फीट का ताजिया तैयार किया है। ये ताजिया 2 महीने में बनकर तैयार हुआ है। हर साल की तरह इस बार भी सबसे बड़ा ताजिया किन्नर समाज का ही होगा। इसे बनाने नर्मदापुरा से कारीगर आए हैं और उन्होंने भोपाल में ही ताजिया तैयार किया है। इस बार किन्नर समाज ने 4 मेहराबों वाला ताजिया तैयार किया है। 16 जुलाई को इसे असेंबल किया जाएगा।

मोहर्रम की 10 तारीख को निकाला जाएगा परंपरागत जुलूस

मोहर्रम पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए शहर में कई स्थानों पर मजलिसों का दौर शुरू हो गया। इमामबाड़ों में ताजिए का निर्माण जारी है। यह सिलसिला नौ दिन तक जारी रहेगा। बोहरा समुदाय में नौ स्थानों पर मजलिसों का आयोजन किया जाएगा।
बता दें कि राजधानी भोपाल में सोमवार को बोहरा समाज ने नजमी हाल में मजलिस का आयोजन किया। हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते समाज के लोग जमा हुए। समाज के प्रवक्ता इब्राहिम अली दाउदी ने बताया कि सोमवार 8 जुलाई को मोहर्रम की दो तारीख है।
मोहर्रम की नौ तारीख यानी 16 जुलाई तक नौ स्थानों पर मजलिस होगी। बोहरा समाज ने रविवार 7 जुलाई से ही मोहर्रम पर्व की शुरुआत की। उनके अनुसार रविवार 7 जुलाई को मुहर्रम की पहली तारीख थी। जबकि भोपालवासियों ने सोमवार 8 से मोहर्रम महीने की पहली तारीख मानी है।

जुलूस में डीजे पर बैन


मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में मोहर्रम को लेकर बैठक आयोजित की गई। बैठक में मौजूद इमाम और मौलानाओं ने कहा कि डीजे बजाना शरीयत में हराम होने के साथ ही कानूनी रूप से भी जुर्म है। इसके साथ ही डीजे पर फूहड़ता वाला डांस किया जाता है, जो कि जुलूस जैसे पवित्र आयोजन की गरिमा को गिराता है। ऐसे में इस बार जुलूस में डीजे पर पाबंदी रहेगी। वहीं जो इसका उल्लंघन करता पाया गया उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
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इमामबाड़ों में शुरू हुए आयोजन, रखे जाएंगे ताजिए

राजधानी भोपाल के इमामबाड़ों में सोमवार 8 जुलाई से आयोजन शुरू हो चुके हैं। यहां मजलिसों के साथ ताजिए रखे जा रहे हैं। बता दें कि यहां सोमवार को मोहर्रम की पहली तारीख थी। ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी अध्यक्ष डॉ. ओसाफ शाहमिरी खुर्रम ने बताया कि शहर के दर्जनों इमामबाड़ों में सैंकड़ों ताजिया, बुर्राक रखे जा रहे हैं।
अकीदतमंद इन दस दिनों में मस्जिदों और घरों में कुरआन की तिलावत, दुरूद, फातिहा पढ़ेंगे। योम ए आशूरा यानि मोहर्रम की दस तारीख को शांतिपूर्वक जुलूस निकालकर ताजियों का विसर्जन किया जाएगा।

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