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मंडी में माल नहीं आने से धानक मजदूर ठाले बैठे नजर आए, काफी जने तो दोपहर तक अपने घर लौट गए। जो मंडी परिसर में थे वे शैड वाले कॉमन प्लेटफार्म या अपने आढ़तियों की दुकानों में सुस्ताते नजर आए। दुकानों पर भी किसानों की आवाजाही सामान्य दिनों की तुलना में काफी कम रही। गेहूं की सरकारी खरीद के कट्टों का उठाव श्रमिक यूनियन की चुनावी गतिविधि के चलते धीमा रहा। लगभग 15 हजार कट्टे ही मंडी से उठे।
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यूं जानिए फर्क
कृषि जिन्सों की आवक का फर्क गत वर्ष के दो जून की आवक को देखकर लगाया जा सकता है। पिछले साल इसी दिन गेहूं की आवक 1251 क्विंटल रही थी। सरसों 712 क्विंटल, चना 284, अरण्डी 22 एवं ग्वार 85 क्विंटल आया था।
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‘किसानों में जागरूकता बढ़ी है, इसी कारण वे कृषि जिन्स लेकर नहीं आए। उन्होंने अपनी मांगों पर एकजुटता का परिचय दिया है। सरकार को तुरंत मांगों को पूरा करना चाहिए’
-संतवीर सिंह मोहनपुरा कोर कमेटी सदस्य, राष्ट्रीय किसान महासंघ
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‘कृषि जिन्सों की आवक नहीं होने से मंडी सूनी पड़ी है। आढ़तिया संघ ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है, उनकी मांगों को जायज ठहराते हुए इन्हें पूरा करने की मांग की है’
-राजकुमार बंसल अध्यक्ष, गंगानगर कच्चा आढ़तिया संघ