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श्री गंगानगर

Motivational: ईंट-भट्ठे पर किया काम, चिमनी की रोशनी में पढ़ाई, फिर खुद ने जहां से पढाई की , अब वहीं बनी टीचर

Inspirational Story: जब हालात बहुत विपरीत हो तो मनुष्य बिखर जाता है या मजबूत होकर स्थिति से बाहर निकलता है। अनूपगढ़ जिले के चक 87 जीबी निवासी ममता के परिवार के हालात भी बहुत विकट थे। वह अपने परिवार के साथ 87 जीबी के एक ईंट-भटठे पर रहती थी।

श्री गंगानगरOct 11, 2023 / 12:06 pm

Akshita Deora

श्रीगंगानगर. Inspirational Story: जब हालात बहुत विपरीत हो तो मनुष्य बिखर जाता है या मजबूत होकर स्थिति से बाहर निकलता है। अनूपगढ़ जिले के चक 87 जीबी निवासी ममता के परिवार के हालात भी बहुत विकट थे। वह अपने परिवार के साथ 87 जीबी के एक ईंट-भटठे पर रहती थी। आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। मां को भी गंभीर बीमारी थी। ऐसे में परिवार के साथ ईंट-भटठेपर काम भी करना पड़ता था। बिजली नहीं थी तो चिमनी की रोशनी में पढ़ाई की। हालात प्रतिकूल थे लेकिन ममता ने पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा। अब उसकी मेहनत रंग लाई, जब उसने अध्यापिका पद पर ज्वाइन किया।

ममता की बड़ी बहन सुमन ने बताया कि बुलंद हौसले, कड़ी मेहनत, कुछ अलग करने के जुनून के कारण ही ममता अध्यापिका बन पाई। ममता को इस मुकाम तक पहुंचाने में पिता रावताराम, दादा नत्थूराम, फूफा रामकुमार राठौड़ व भुआ सावत्री देवी ने अहम भूमिका निभाई। ममता मूल रूप से श्यामगढ़ की निवासी है।

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जहां पढ़ी, वहीं अध्यापिका
ममता ने चक 90 जीबी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्यापिका पद पर ज्वाइन किया है। ममता ने बताया कि मेरे लिए खुशी की बात है कि मैं इसी स्कूल से पढ़ाई की।
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मार्गदर्शन-मेहनत से सफलता
राजस्थान बावरी समाज विकास संस्था के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. बलदेव सिंह चौहान ने बताया कि संस्था ने बेटियां छू रही आसमां मुहिम के तहत अनूपगढ़ ब्लॉक से ममता को गोद लिया था। उसने सरकारी नौकरी लगकर साबित कर दिया कि सही मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत के बूते किसी भी हालात में सफलता प्राप्त की जा सकती है। ममता ने भी संस्था का आभार जताया है।

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