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श्री गंगानगर

राजस्थान की इस चीज के दीवाने हैं सरहद पार पाकिस्तान के लोग, जानें क्या है पूरा मामला

रेडियो कार्यक्रम मिट्टी दी खुशबू पर शोध भी हुआ है। फाजिल्का में सूचना एवं जनसंपक्र अधिकारी रहे भूपेंद्र सिंह बराड़ ने वर्ष 2003-04 में जनसंचार विषय में स्नातकोत्तर के दौरान शोध के लिए उन्होंने इसे विषय के रूप में चुना था।

श्री गंगानगरJul 17, 2024 / 09:53 pm

जमील खान

प्रवीण राजपाल

Sri Ganganagar News : श्रीकरणपुर.(श्रीगंगानगर) पड़ोसी देश पाकिस्तान से हमारे संबंध चाहे जैसे भी हों, लेकिन हमारी ‘मिट्टी दी खुशबू’ के मुरीद उधर भी कम नहीं हैं। हम बात कर रहे हैं कॉटन सिटी चैनल आकाशवाणी सूरतगढ़ के लोकप्रिय पंजाबी कार्यक्रम मिट्टी दी खुशबू की। श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में पंजाबी भाषी बहुल है और उन्हें रेडियो से जोडऩे के उद्देश्य से प्रसार भारती (Prasar Bharti) ने आकाशवाणी सूरतगढ़ को पंजाबी कार्यक्रम शुरू करने का विचार किया तथा उच्चाधिकारियों के निर्देश पर उद्घोषक राजेश चड्ढा को जिम्मेदारी सौंपी गई।
आखिरकार 12 जुलाई 1996 को आधे घंटे के लिए ‘मिट्टी दी खुशबू’ की पहली कड़ी प्रसारित हुई। कुछ ही समय में यह कार्यक्रम हजारों श्रोताओं की पहली पसंद बन गया और उनकी मांग पर इसकी प्रसारण अवधि एक घंटा करनी पड़ी। चड्ढा की आवाज का जादू न केवल क्षेत्र के रेडियो श्रोताओं बल्कि सरहद पार पाकिस्तान में भी अपनी छाप छोडऩे में कामयाब रहा।
भारतीय जासूस रविंद्र कौशिक ने पाक जेल से भेजे पत्र !
पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में बंद भारतीय जासूस श्रीगंगानगर निवासी रविंद्र कौशिक (Indian Spy Ravindra Kaushik) ने भी कार्यक्रम में पांच-छह पत्र भेजे। वर्ष 2005 में कार्यक्रम के दौरान रविंद्र का पत्र सुनकर उसके परिजन भी हैरान रह गए। उसके जीवित होने की जानकारी मिलने पर जवाब के तौर पर उन्होंने भी कार्यक्रम में पत्र लिखा। साथ ही दूतावास के माध्यम रविंद्र से संपर्क करने का प्रयास किया। चड्ढा ने बताया कि तब रविंद्र ने आशा सिंह मस्ताना के गाए गीत ‘जदों मेरी अर्थी उठा के’ की फरमाइश की थी तो इसे पूरा भी किया गया। पाकिस्तान के बहावलपुर की मशहूर लेखिका नाजिया कंवल नाजी, चक जैतो के अरशद महमूद, आरिफवाला के मुश्ताक अहमद खां, डूंगाबूंगा के साबिर सहित अन्य कई सीमा पार के श्रोता इस कार्यक्रम से जुड़ गए।
शोध हुआ और सराहना भी मिली
रेडियो कार्यक्रम मिट्टी दी खुशबू पर शोध भी हुआ है। फाजिल्का में सूचना एवं जनसंपक्र अधिकारी रहे भूपेंद्र सिंह बराड़ ने वर्ष 2003-04 में जनसंचार विषय में स्नातकोत्तर के दौरान शोध के लिए उन्होंने इसे विषय के रूप में चुना था। इसके अलावा पंजाब के प्रसिद्ध गायक गुरदास मान व कंवर ग्रेवाल भी इसकी सराहना कर चुके हैं।

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