शिकायत पहुंची तो जिला परिषद ने आनन फानन में जांच का दावा किया लेकिन जांच की प्रक्रिया एक साल बाद भी आगे तक नहीं सरकी है। इस एक साल की अवधि में तीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी बदले जा चुके है लेकिन जांच की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। अधिकारी इस मामले को दबाए हुए है। अब तक लाखों का भुगतान करने के लिए ग्राम पंचायतों ने संकोच की बजाय अधिक दरियादिली दिखाई है। नियमानुसार एक लाख रुपए से अधिक किसी वस्तु या सामान की खरीद की जाती है तो ऑनलाइन टैण्डर करनी होगी लेकिन एक साथ की बजाय अलग अलग तिथियों में इसकी खरीद होना दर्शाया ताकि एक साथ भुगतान करने से मामला पकड़ में न आ जाएं।
ग्राम पंचायतों ने इसकी न तो स्वीकृति जारी करवाई तथा न ही टेंडर किए गए हैं। इन बैंच का बेचान करने वाली फर्म ही ग्राम पंचायतों को अपनी जानकारी वाली तीन फर्मों का कॉटेशन देकर कुर्सियों की सप्लाई भी कर दी। कई जगहों पर तो सरपंचों को ही बाद में पता चला कि ग्राम पंचायत में बैंचों की सप्लाई हो गई है।
हर ग्राम पंचायत में 20 से 100 तक बैंच सप्लाई हुई। औसतन 50 कुर्सियां आइ्र। पंचायत बदलते ही दाम अलग हैरत की बात है कि इन कुर्सियों की कीमत हर ग्राम पंचायत में जाकर बदल गई। ग्राम पंचायतों द्वारा अपनी अपनी मर्जी से कुर्सियों का भुगतान प्रति कुर्सी 6 हजार से 15 हजार रुपए तक किया गया है। जबकि कुर्सी की वास्तविक कीमत केवल ढाई हार रुपए प्र्रति कुर्सी है। शिकायत के अनुसार जिले की पदमपुर, सूरतगढ़, अनूपगढ़, घडसाना, श्रीविजयनगर, श्रीकरणपुर, रायसिंहनगर, सादुलशहर, श्रीगंगानगर पंचायत समितियों में इन बैंचों की खरीद का खेल चल रहा है।
ग्राम पंचायतों में सप्लाई की गई इन सीमेंटेडबैचों का विवरण जेम पोर्टल पर कोई विवरण नहीं है। जेम पोर्टल पर सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद की जाने वाली प्रत्येक वस्तु व उसकी कीमत दर्ज है। इससे बाहर जाकर कोई भी सरकारी एजेंसी खरीद नहंी की सकती। बैंचों का विवरण ना तो जेम पोर्टल पर दर्ज है तथा ना ही बीएसआर दरों में इसका निर्धारण किया गया है। इसके अलावा बैंचों की खरीद के लिए किसी प्रकार की प्रशासनिक, वित्तीय अथवा तकनीकी स्वीकृति जारी नहीं की गई है। बिना स्वीकृति जारी किए हर पंचायत पर करीब दो से 5 लाख रुपए तक बैंचों की खरीद कर ली गई।
हर ग्राम पंचायत में 20 से 100 तक बैंच सप्लाई हुई। औसतन 50 कुर्सियां आइ्र। पंचायत बदलते ही दाम अलग हैरत की बात है कि इन कुर्सियों की कीमत हर ग्राम पंचायत में जाकर बदल गई। ग्राम पंचायतों द्वारा अपनी अपनी मर्जी से कुर्सियों का भुगतान प्रति कुर्सी 6 हजार से 15 हजार रुपए तक किया गया है। जबकि कुर्सी की वास्तविक कीमत केवल ढाई हार रुपए प्र्रति कुर्सी है। शिकायत के अनुसार जिले की पदमपुर, सूरतगढ़, अनूपगढ़, घडसाना, श्रीविजयनगर, श्रीकरणपुर, रायसिंहनगर, सादुलशहर, श्रीगंगानगर पंचायत समितियों में इन बैंचों की खरीद का खेल चल रहा है।
ग्राम पंचायतों में सप्लाई की गई इन सीमेंटेडबैचों का विवरण जेम पोर्टल पर कोई विवरण नहीं है। जेम पोर्टल पर सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद की जाने वाली प्रत्येक वस्तु व उसकी कीमत दर्ज है। इससे बाहर जाकर कोई भी सरकारी एजेंसी खरीद नहंी की सकती। बैंचों का विवरण ना तो जेम पोर्टल पर दर्ज है तथा ना ही बीएसआर दरों में इसका निर्धारण किया गया है। इसके अलावा बैंचों की खरीद के लिए किसी प्रकार की प्रशासनिक, वित्तीय अथवा तकनीकी स्वीकृति जारी नहीं की गई है। बिना स्वीकृति जारी किए हर पंचायत पर करीब दो से 5 लाख रुपए तक बैंचों की खरीद कर ली गई।