इससे शहर के कॉलोनाइजरों में हड़कंप मच गया है। वहीं इन कॉलोनियों में भूखण्ड खरीदारों की मुश्किलें बढती नजर आ रही हैं। इस फैसले को नगरपालिका पैराफेरी में बड़ी संया में बिना कन्वर्जन करवाए काटी रही अवैध कॉलोनियों को लेकर प्रशासन का बड़ा एक्शन माना जा रहा है।
70 कृषि भूमि के खातेदारों को नोटिस जारी कर दावे किए थे प्रस्तुत
गौरतलब है कि कुछ समय पहले तहसीलदार की ओर से अवैध कॉलोनियों को लेकर नगर पालिका पैरा फेरी क्षेत्र में सर्वे करवाया गया था। इसमें संबंधित कॉलोनाइजरों की ओर से कृषि भूमि पर अवैध रूप से कॉलोनियां विकसित कर 100 रुपए के स्टांप पर लाखों रुपए के हिसाब से भूखंड का विक्रय करना सामने आया था, जिस पर तहसीलदार की ओर से राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के तहत करीब 70 कृषि भूमि पर खातेदारों को नोटिस जारी कर धारा 177 के दावे भी प्रस्तुत किए गए थे। इन प्रकरणों में सुनाया फैसला
उपखण्ड अधिकारी की ओर से प्रकरण संया 117/2012 राजस्थान सरकार जरिए राजस्व तहसीलदार बनाम विवेक गर्ग पुत्र कृष्णलाल गर्ग जाति अग्रवाल प्रकरण में फैैसला सुनाते हुए चक 25 पीएसबी के मुरब्बा नंबर 23 में पं.नं. 210/292 के किला नं 1 में 0.253 हैक्टेयर, 10/1 में 0.100 है., 11 में 0.253 है., 18/2 में 0.152 है. व मुरब्बा नंबर 20 में 0.253 हैक्टेयर सहित कुल 1.110 हैक्टेयर नहरी भूमि को तथा प्रकरण संया 115/2012 में राजस्थान सरकार जरिए राजस्व तहसीलदार बनाम सरला देवी पत्नी रमेश कुमार, जाति अग्रवाल साकिन रायसिंहनगर व शारदा गर्ग पत्नी राजेश गर्ग जाति अग्रवाल साकिन रायसिंनगर के प्रकरण में फैसला सुनाते हुए रकबा चक 22 पीएस का मुरब्बा नंबर 41 के किला नंबर 5-6 में 0.506 हैक्टेयर, मुरब्बा नंबर 42 का किला नंबर 1 में 0.253 है., 2/2 में 0.126 , 9/2 में 0.127, 10-11 में 0.506, 12/2 में 0.126., 19/2 में 0.127, 20 से 22 में 0.259. 23/1 में 0.126 हैक्टेयर. कुल रकबा 2.150 हैक्टेयर नहरी भूमि को धारा 177 राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 के तहत प्रमाणित होने पर उक्त वाद में राज. काश्तकारी अधिनियम 1956 व भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 90 के प्रावधानों तथा राज्य सरकार की नीतियों का उल्लंघन मानते हुए उक्त नहरी भूमि को रकबाराज घोषित किया है।