उनका ये कमेंट बांग्लादेश के खिलाफ चेपॉक टेस्ट के बाद आया है, जहां विराट और रोहित का बल्ला दोनों पारियों में खामोश रहा। हालांकि, टीम के अन्य खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। चेपॉक टेस्ट में रोहित शर्मा के बल्ले से कुल 11 रन आए, जबकि विराट के बल्ले से कुल 21 रन बने। दोनों बल्लेबाजों को दलीप ट्रॉफी में खेलने से छूट दी गई थी और मांजरेकर ने बीसीसीआई द्वारा दोनों के प्रति इस रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा है कि टूर्नामेंट में उनके न खेलने से भारतीय क्रिकेट को नुकसान पहुंचा है। मांजरेकर ने कहा, “मैं चिंतित नहीं हूं, लेकिन मुझे यकीन है कि किसी ने इस बात ध्यान दिया होगा कि अगर वे लाल गेंद वाली क्रिकेट खेलते तो उनका प्रदर्शन बेहतर हो सकता था। उनके पास दलीप ट्रॉफी चुनने का विकल्प था।”
स्पेशल ट्रीटमेंट से बचने की दी BCCI को सलाह
उन्होंने आगे कहा, “इसलिए हमें कुछ खिलाड़ियों के साथ स्पेशल ट्रीटमेंट से बचना चाहिए था। उन्हें भारतीय क्रिकेट और खिलाड़ी के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन देखना चाहिए। विराट और रोहित का दलीप ट्रॉफी नहीं खेलना भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं था, न ही यह दोनों खिलाड़ियों के लिए अच्छा था। अगर वे दलीप ट्रॉफी खेलते और लाल गेंद वाले क्रिकेट में कुछ समय बिताते, तो चीजें अलग होतीं।” मांजरेकर ने कहा कि दोनों ही भारतीय क्रिकेट के बड़े खिलाड़ी हैं इस बात में कोई शक नहीं है। फॉर्म हासिल करना उनके लिए बड़ी चुनौती नहीं है। लेकिन रेड बॉल क्रिकेट काफी सीमित हो गई है। ये दोनों बेशक आइकॉनिक खिलाड़ी हैं लेकिन है तो इंसान ही। अगर उन्होंने रेड बॉल के साथ थोड़ा समय बिताया होता तो नतीजे बेहतर होते। कई पूर्व क्रिकेटरों ने स्टार भारतीय क्रिकेटरों के घरेलू सर्किट में नहीं खेलने पर चिंता जताई है। बीसीसीआई ने भी इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है लेकिन यह चर्चा बार-बार सामने आती रही है। ऐसे में मांजरेकर का यह बयान इस मुद्दे को हवा दे सकता है।