scriptBirthday Special: 15 साल की उम्र में भारत केसरी, अर्जुन अवॉर्ड जीतने वाली पहली महिला रेसलर, दिग्गज पहलवानों की रोल मॉडल, जानें कौन है गीतिका जाखड़? | birthday special geetika jakhar who prove that wrestling in not only for mens won bharat kesari and first arjuna award winner | Patrika News
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Birthday Special: 15 साल की उम्र में भारत केसरी, अर्जुन अवॉर्ड जीतने वाली पहली महिला रेसलर, दिग्गज पहलवानों की रोल मॉडल, जानें कौन है गीतिका जाखड़?

Geetika Jakhar: 13 साल की उम्र में कुश्ती शुरू करने वाली गीतिका ने मात्र 15 साल की उम्र में भारत केसरी का खिताब जीता और फिर लगातार 9 वर्षों तक इस खिताब को जीतती रहीं।

नई दिल्लीAug 18, 2024 / 10:12 am

Vivek Kumar Singh

Geetika jakhar
Birthday Special Geetika Jakhar: ‘कुश्ती पुरुष प्रधान खेल नहीं’… ये शब्द हैं गीतिका जाखड़ के जो भारत की एक दिग्गज महिला पहलवान रही हैं। कभी कन्या भ्रूण हत्या के लिए बदनाम हरियाणा आज अपनी बेटियों के नाम से मशहूर है। यहां की बेटियां पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा रही हैं। 18 अगस्त 1985 को जन्मी गीतिका भी हरियाणा से ही ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने कई मौकों पर देश का नाम रोशन किया है। महिला पहलवानी में क्रांति लाने वाली पहलवान और हिसार की डीएसपी गीतिका जाखड़ को खेल और कुश्ती विरासत में मिली है। वो एक खेल से जुड़े परिवार से आती हैं और उन्होंने अपने दादा से पहलवानी के गुर सीखे थे, जो अपने जमाने के जाने-माने पहलवान रहे हैं।

कुश्ती नहीं थी पहली पसंद

दिलचस्प बात ये है कि कुश्ती गीतिका जाखड़ की पहली पंसद नहीं थी। इससे पहले उन्होंने एथलेटिक्स में अपना हाथ आजमाया था, लेकिन एक बार उन्होंने कुछ लड़कियों को कुश्ती करते देखा तो बस ठान लिया कि उन्हें भी कुश्ती है करनी है। 13 साल की उम्र में कुश्ती खेलना शुरू करने वाली गीतिका ने मात्र 15 साल की उम्र में भारत केसरी का खिताब जीता और फिर लगातार 9 वर्षों तक इस खिताब को जीतती रहीं। धीरे-धीरे ये मंच बड़ा होता गया और इस महिला पहलवान की बादशाहत बढ़ती गई। गीतिका जाखड़ भारतीय खेलों के इतिहास में एकमात्र महिला पहलवान हैं, जिन्हें 2005 राष्ट्रमंडल खेलों के सर्वश्रेष्ठ पहलवान के रूप में आंका गया। साथ ही, गीतिका पहली महिला पहलवान भी हैं, जिसे 2006 में भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था।
गीतिका जाखड़ के नाम और भी कई उपलब्धियां है। 2003 और 2005 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और 2007 में सिल्वर मेडल जीता। 2006 के एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल और 2014 एशियाई खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2007 नेशनल गेम्स और 2007 सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में गीतिका ने गोल्ड मेडल जीते। 2009 में, उन्हें कल्पना चावला उत्कृष्टता पुरस्कार मिला। 2011 में वह राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की पहलवान बनीं। गीतिका ने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में 63 किलोग्राम वर्ग में शानदार प्रदर्शन कर रजत पदक जीता। 2019 में, गीतिका ने विश्व पुलिस और फायर गेम्स में 69 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता।
भारतीय महिला कुश्ती और गीतिका जाखड़ के बीच खास कनेक्शन है। चाहे, महिला कुश्ती को बढ़ावा देना हो या फिर महिला पहलवानों के यौन शोषण का मामला, हर बार गीतिका महिला पहलवानों के सपोर्ट में रहीं। उनका हमेशा से ये मानना रहा कि एक खिलाड़ी की पहचान या काबिलियत उसके जेंडर से नहीं बल्कि उसके खेल से होनी चाहिए। कुश्ती भारत का पसंदीदा और काफी पुराना खेल है। हालांकि कुश्ती में हमेशा से पुरुषों का दबदबा रहा है। हमारे समाज में ऐसा माना जाता था कि कुश्ती पुरुषों का खेल है, क्योंकि महिलाएं कमजोर होती हैं। मगर अब ये सोच धीर-धीरे बदल रही है और इसे मुमकिन किया है हमीदा बानो, गीतिका जाखड़, साक्षी मलिक और फोगाट परिवार की बेटियों ने, जो पहलवानी में बड़े से बड़े धुरंधरों को पटखनी देने का माद्दा रखती हैं।
महिला कुश्ती में भारत का भविष्य उज्जवल है। निशा दहिया, अंतिम पंघाल जैसे कई युवा खिलाड़ी बड़े मंच के लिए तैयार हो रहे हैं और अपने पहले ही ओलंपिक में इन पहलवानों ने खुद को साबित भी किया। कई युवा महिला पहलवान गीतिका जाखड़ को अपना रोल मॉडल भी मानते हैं।

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