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सफेद गेंडे की मौत के बाद ये जीव भी खतरे में, कौन बचाएगा इन्हें?

प्रदूषण और शिकार के चलते खत्म हो रहे जीव

Mar 23, 2018 / 12:34 pm

Navyavesh Navrahi

नई दिल्ली। हाल ही में केन्या में हुए आखरी गेंडे की मौत ने दूसरी विलुप्त होती प्रजातियों के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिहृ लगा दिया है। पूरी दुनिया में कई ऐसे जानवर एवं पक्षियों की प्रजाजियां हैं जिनकी गिनी—चुनी संख्या ही बची है। ऐसे प्रजातियों के संरक्षण के लिए जल्दी कदम न उठाया गया तो विलुप्त होते वन्यजीवों का संकट और ज्यादा गहरा सकता है। आज हम आपको विश्व के कुछ ऐसे ही दुर्लभ जीवों के बारे में बताएंगे, जिनका अस्तित्व खतरे में है।

1.नॉर्दन राइट व्हेल
पूरे वल्र्ड में पहले से ही व्हेल मछलियों का अकाल है। अब इसकी एक प्रजाति बिल्कुल खत्म होने की कगार पर है। उसका नाम नॉर्दन राइट व्हेल है। ये अब सिर्फ अटलांटिक महासागर में ही बची हुई है। इनकी संख्या लगातार घट रही है। पिछले साल के आखिरी तक इनकी संख्या महज 350 रह गई थी। इनके घटने की वजह कोई प्राकृतिक मुसीबत नहीं, बल्कि इनका तेजी से शिकार किया जाना है। इन व्हेल में प्रचुर मात्रा में तेल होता है। इसी के चलते इनका चोरी—छिपे शिकार किया जा रहा है।

2. लीथरबैक सी टर्टल
कछुओं में ये सबसे बड़े आकार के होते हैं। इन्हें भी विलुप्त प्राणियों की श्रेणी में रखा गया है। ये अटलांटिक, अलास्का, न्यूजीलैंड और भारतीय महासागरों में पाए जाते हैं। पहले इनकी संख्या करीब एक लाख थी, जो कि घटकर मात्र 15 हजार रह गई है। इनके विलुप्त होने का कारण समुद्र में गंदगी का होना है।

3.चाइनीज जिआन्ट सेलेमेंडर
ये प्राणी मछली और मगरमच्छ का मिला हुआ रूप है। ये देखने में बहुत ही विचित्र लगता है। आज के समय में यह जीव भी खत्म होने की कगार पर हैं। यह मध्य और दक्षिणी चीन के पहाड़ी जंगलों में रहते हैं। यह जीव करीब 6 फुट तक बढ़ सकता हैं। साथ ही ये एक बार 500 से भी ज्यादा अंडे दे सकता है।

4.द साओला
ये जीव बारासिंहा की तरह दिखता है। इसका वजन लगभग 100 किलो तक होता है। ये लाओस और वियतनाम में पाए जाते हैं। इनकी संख्या महज 100 रह गई है। ये प्राणी भी तेजी से गायब हो रहे हैं। आखरी बार इन्हें साल 2013 में देखा गया था। तब से इनकी खोज जारी है।

5.वेस्टर्न लॉलैंड गोरिल्ला
ये पश्चिमी अफ्रीका में पाए जाते हैं, इसलिए इन्हें वेस्टर्न लोलैंड गोरिल्ला कहा जाता है। इनकी संख्या पिछले कुछ सालों में करीब 80 प्रतिशत तक घट गई है। इनके विलुप्त होने का कारण शिकार नहीं बल्कि इनका इबोला नामक बीमारी से ग्रसित होना है।

6.नॉदर्न स्पोरटिव लेमूर
यह जीव बंदर की प्राजाति का है। ये दक्षिणपूर्वी अफ्रीका के मेडागास्कर द्वीप पर पाए जाते हैं। इनका वजन 2 पाउंड से भी कम होता है। अब इनकी संख्या महज 20 रह गई है। इन पर ध्यान न दिए जाने से जल्द ही ये प्राणी भी विलुप्त हो जाएगा।

7.इवोरी बिल्ड वुडकीपर
पक्षियों की ये प्रजाति भी खत्म होने पर है। ये अमेरिका के दक्षिणपूर्व और क्यूबा में पाया जाता है। इनकी संख्या बहुत ही कम बची है। ये पक्षी इतना दुर्लभ हो गया है कि इसे खोजना बहुत मुश्किल है। साल 2004 में ही इसे विलुप्त मान लिया गया था, लेकिन दोबारा इन्हें देखा गया है। मगर इनकी सटीक संख्या की गणना नहीं हो पाई है।

8.गिद्ध
भारत में पाया जाने वाला पक्षी भी विलुप्त हो रहा है। इनकी संख्या तेजी से घट रही है। मांस पर निर्भर इस पक्षी के खात्मे की मुख्य वजह डाइक्लोफेनेक दवा है। इस दवा का प्रयोग जानवरों पर किया जाता है। इनके मरने के बाद गिद्धों के इन्हें खाने से दवा का प्रभाव उन पर भी हो रहा है। इसके अलावा प्रदूषण और गंदगी भी इनके खात्मे की वजह है।

9.बाघ
भारत का राष्ट्ीय पशु बाघ भी दुर्लभ जीवों की श्रेणी में है। इनकी खाल, दांत और नाखूनों की बढ़ती मांग के चलते इनका तेजी से शिकार हो रहा है। भारत में इनके संरक्षण के लिए सेव टाइगर नाम से मिशन भी चलाया जा रहा है। जिसके तहत इनका शिकार पूरी तरह से प्रतिबंधित है। भारत में पहले इसकी संख्या बहुत कम हो गई थी, लेकिन कुछ सालों में भारत के गुजरात में यहां बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है। यहां कुल 411 बाघ हैं। जबकि पूरी दुनिया में ये महज 1411 बचे हुए हैं।

10.आॅलिव रिडल टर्टल
ये कछुओं में सबसे छोटी प्रजाति का होता है। यह भारत के पूर्वी तट पर पाया जाता है। ये महज 12 ही बचे हैं। इनके तेजी से घटती संख्या से ये जल्द ही विलुप्त होने को हैं। इनके खात्मे का प्रमुख कारण प्रजनन स्थलों की कमी, समुद्रीय प्रदूषण और लोगों का शिकार करना है।

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