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मुरैना में उड़ाई जा रहीं आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां, नहीं हो रही कार्रवाई

– लोकसभा चुनाव में जिस तरह से मुरैना में आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, उसको देखकर ऐसा लगता है कि यहां आचार संहिता हटा दी गई है। यहां प्रत्याशी बिजली के पोल पर पोस्टर लगाएं या फिर किसी अन्य शासकीय संपत्ति का उपयोग करें, कोई कार्रवाई नहीं होती।

मोरेनाMay 05, 2024 / 10:28 pm

Ashok Sharma

मुरैना. लोकसभा चुनाव में जिस कदर मुरैना में आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, उसको देखकर लगता है कि यहां अधिकारियों ने आंखें बंद करके खुली छूट दे रखी है जिसको जो करना हैं, वह करे। इसी का परिणाम हैं कि सरकारी आवास में संचालित भाजपा कार्यालय को अभी तक खाली नहीं कराया गया हैं। इसके अलावा प्रत्याशी व उनकी पार्टी के लोग खुलेआम बिजली के खंभों पर पोस्टर लगा रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। आचार संहिता लगने के उसी दिन से पुलिस व प्रशासन के अधिकारी इतने सक्रिय हुए कि कोचिंग संचालक, दुकानदार सहित अन्य आम नागरिकों पर ताबड़तोड़ एफआइआर दर्ज की गई लेकिन अब प्रत्याशी खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, उन पर किसी की नजर नहीं हैं।
बड़े नेताओं के कार्यक्रमों में बिजली खंभों पर लगाए पोस्टर

जब भी शहर में बड़े नेताओं की सभा हुई तब सरकारी संपत्ति का उपयोग किया गया लेकिन उन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। एक समाज के रैली के दौरान भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर ने एम एस रोड के डिवाइडरों के बीच लगे बिजली खंभों पर पोस्टर लगाए, उनको नगर निगम ने जब्त किया लेकिन एफआइआर नहीं की गई। मुख्यमंत्री की रोड शो हुई, इस दौरान पूर्व विधायक राकेश मावई ने बिजली के खंभों पर पोस्टर लगाए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मायावती आई तब बसपा प्रत्याशी रमेश गर्ग ने बिजली के खंभों पर पोस्टर लगाए कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह पीएम नरेन्द्र मोदी आए तब शहर में भाजपाइयों ने बिजली के खंभों पर पोस्टर लगाए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे लगता है कि मुरैना में प्रशासन ने कार्रवाई नहीं करने का मन बना लिया है। इसलिए सभी दलों के नेता आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
सरकारी आवास से संचालित हैं भाजपा की गतिविधियां

भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय चंबल कॉलोनी में सरकारी आवास में संचालित है। इससे पूर्व यह मंत्री रहे रुस्तम सिंह, नरेन्द्र सिंह के पास भी रहा लेकिन जब भी ये चुनाव लड़े तब इनसे आवास खाली करा लिया गया था लेकिन इस बार प्रशासनिक अधिकारियों की मेहरबानी कहें या फिर अनदेखी इसलिए अभी तक आवास खाली नहीं कराया गया है। यह जिम्मेदारी संबंधित रिटर्निंग आफीसर की होती है लेकिन उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया।

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