2021 में पूरी हो गई मास्टर प्लान की विकास अवधि 03 साल पिछड़ी विकास योजना
15 साल के लिए लागू हुआ था मास्टर प्लान
06 लाख के लगभग बढ़ गई नगर की आबादी
18 लाख के लगभग हो गई है जनसंख्या
62 गांव नए प्लानिंग एरिया में किए शामिल, जमीन का उपयोग स्पष्ट नहीं
15 साल के लिए लागू हुआ था मास्टर प्लान
06 लाख के लगभग बढ़ गई नगर की आबादी
18 लाख के लगभग हो गई है जनसंख्या
62 गांव नए प्लानिंग एरिया में किए शामिल, जमीन का उपयोग स्पष्ट नहीं
संयुक्त संचालक नहीं
शहर की कितनी अनेदखी हो रही है, इसका इस बात से लगाया जा सकता है कि नरसिंहपुर, सिहोरा जैसे छोटे शहरों के मास्टर प्लान आ गए हैं। भोपाल, इंदौर के मास्टर प्लान भी फाइनल स्टेज पर हैं। दूसरी ओर जबलपुर सम्भागीय मुख्यालय होने के बावजूद यहां टाउन एंड कंट्री प्लानिंग कार्यालय के पास स्थायी संयुक्त संचालक तक नहीं है।
शहर की कितनी अनेदखी हो रही है, इसका इस बात से लगाया जा सकता है कि नरसिंहपुर, सिहोरा जैसे छोटे शहरों के मास्टर प्लान आ गए हैं। भोपाल, इंदौर के मास्टर प्लान भी फाइनल स्टेज पर हैं। दूसरी ओर जबलपुर सम्भागीय मुख्यालय होने के बावजूद यहां टाउन एंड कंट्री प्लानिंग कार्यालय के पास स्थायी संयुक्त संचालक तक नहीं है।
ऐसे थम गई योजनाएं
टाउन प्लानर और रियर एस्टेट कारोबारियों का कहना है कि 2021 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने नए मास्टर प्लान के लिए 62 गांव को प्लानिंग एरिया में ले लिया। गांवों को प्लानिंग एरिया में ले लिया तो जमीन का उपयोग तय कर देना चाहिए। ऐसा नहीं होने से अवैध कॉलोनी विकसित हो रही हैं। लोग मनमाने तरीके से घर, दुकान, गोदाम व अन्य भवनों का निर्माण कर रहे हैं। इन क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़क वर्ष 2008 में लागू हुए मास्टर प्लान हिसाब से बनी थीं। तब के मुकाबले आबादी छह लाख बढ़ गई है।
टाउन प्लानर और रियर एस्टेट कारोबारियों का कहना है कि 2021 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने नए मास्टर प्लान के लिए 62 गांव को प्लानिंग एरिया में ले लिया। गांवों को प्लानिंग एरिया में ले लिया तो जमीन का उपयोग तय कर देना चाहिए। ऐसा नहीं होने से अवैध कॉलोनी विकसित हो रही हैं। लोग मनमाने तरीके से घर, दुकान, गोदाम व अन्य भवनों का निर्माण कर रहे हैं। इन क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़क वर्ष 2008 में लागू हुए मास्टर प्लान हिसाब से बनी थीं। तब के मुकाबले आबादी छह लाख बढ़ गई है।
मास्टर प्लान आने पर ही थमेगा मनमाना निर्माण विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2021 में मास्टर प्लान की समय सीमा पूरी हो रही थी, तो नए मास्टर प्लान के लिए प्लानिंग 2019 में ही शुरू कर देनी थी। नई विकास योजना नहीं आने से लोगों को पता ही नहीं है कि भविष्य में कहां सड़क बनेगी, किस् स्थान पर उद्यान होगा, कौन से क्षेत्र आवासीय, व्यासायिक व औद्योगिक होंगे?
मास्टर प्लान नगर के विकास का मूल खाका है, जिस पर समग्र विकास निर्भर करता है। लेकिन, शहर की विकास योजना हर बार पिछड़ी। यही कारण है की प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न होने के बावजूद यह शहर लगातार पिछड़ता गया।
संजय वर्मा, स्ट्रक्चर इंजीनियर व टाउन प्लानर आबादी 6 लाख के लगभग बढ़ गई और हम आज भी डेढ़ दशक पुरानी नगर की विकास योजना के भरोसे बैठे हैं। ऐसे में जबलपुर का समग्र विकास कैसे हो। यही कारण है कि यहां निवेश नहीं आ रहा। रोजगार के अवसर सृजित नहीं हो रहे।
विशाल दत्त, पदाधिकारी, डायरेक्टर्स ऑफ बिल्डर रोड नेटवर्क का विस्तार नहीं होने से शहर का समग्र विकास नहीं हो पा रहा है, पुरानी योजना पर नगर को आगे नहीं ले जाया सकता है। रिंग रोड बन रही है, तो उससे पहले ये सभी स्थिति स्पष्ट हों। तभी सही विकास शहर का हो पाएगा।
राजेश जैन पिंकी, रियल एस्टेट कारोबारी