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बेंगलूरु। गणतंत्र दिवस पर देश भर में फहराए जाने वाले खादी के तिरंगे झंडों का कर्नाटक से सीधा संबंध है। हुबली में बेंगेरी स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएस) खादी के तिरंगे झंडे बनाने का काम करने वाली देश की एकमात्र संस्था है।
राज्य के हुबली शहर के बेंगेरी क्षेत्र में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएस) को खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने पूरे देश में विभिन्न आकार के खादी से बने तिरंगे झंडे की सप्लाई करने का अधिकार प्रदान किया है। खास बात यह है कि संघ द्वारा बनाए जाने वाला प्रत्येक तिरंगा झंडा भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के मानकों का पालन करते हुए बनाया जाता है।
एक साल में बेचे 75 लाख झंडे
साल 2014 में इस संघ ने विभिन्न आकारों के 75 लाख तिरंगे बेचे थे। बड़े आकार के झंडे केंद्र तथा राज्य सरकारों के प्रमुख प्रशासनिक भवनों, भारतीय रिजर्व बैंक, प्रमुख हवाई अड्डे आदि जगहों पर फहराए जाते हैं। राष्ट्रनेताओं, अधिकारियों तथा न्यायाधीशों की कारों के लिए छोटे तिरंगे झंडे भी बनाए जाते हैं। इनकी कीमत 150 रुपए से लेकर 900 रुपए तक होती है। केकेजीएसएस में पूरे साल तिरंगे झंडे बनते रहते हैं। जिला खादी संघों के माध्यम से इन्हें बेचा जाता है।
कैसे बनता है तिरंगा
तिरंगा बनाने के लिए खादी की आपूर्ति बागलकोट से होती है। इस खादी का निर्माण केवल हाथ से चलाए जानेवाले चरखों से किया जाता है। इसे तीन भागों में बांट कर केसरिया, सफेद तथा हरे रंग की डाई की जाती है। इसके बाद निर्धारित आकार में काटकर बीच में नीले रंग का अशोक चक्र छापा जाता है। फिर केसरिया, सफेद तथा हरे रंग की पट्टियों से तिंरगे की निर्धारित आकार में जापानी सिलाई मशीनों से सिलाई की जाती है।
तिरंगे का आकार-प्रकार
तिरंगे झंडे की लंबाई तथा चौड़ाई में 2:3 का अनुपात सुनिश्चित किया जाता है और दोनों तरफ अशोक चक्र बनाया जाता है। सिर्फ 7 आकार के तिरंगे झंडे ही बनाए जा सकते हैं। इनमें सबसे छोटा 6 गुणा 4 इंच और सबसे बड़ा 21 गुणा 14 फीट है। कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ का वार्षिक कारोबार करीब 1.5 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। पूरे देश में खादी के झंडे सप्लाई का अधिकार पाने के लिए संघ को चार साल से भी ज्यादा तक संघर्ष करना पड़ा।
कब और क्यों हुई संघ की स्थापना
गांवों में रोजगार तथा खादी उत्पादन के लिए 10,500 रुपए के निवेश के साथ इस संघ की स्थापना 1 नवंबर 1957 को हुई थी। एचए पै, अनंत भट, बीजी गोखले, वासुदेव राव तथा जयदेवराव कुलकर्णी इस संघ के संस्थापक सदस्य थे। संघ का प्रमुख उत्पाद राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। इसके अलावा खादी के बैग, कारपेट और टोपियां भी बनाई जाती हैं। यहां 100 से अधिक बुनकर तिरंगा झंडा बनाने का काम करते हैं।