खाद्य पदार्थों, ईंधन, लाइट और परिवहन में 52 प्रतिशत तक महंगाई मौजूदा हालात को देखते हुए एसबीआई रिपोर्ट में फरवरी को आधार मानते हुए महंगाई पर रूस-यूक्रेन युद्ध के असर का भी अध्ययन किया गया है। इस शोध में पता चला है कि इन दोनों देशों के बीच चल रही जंग की वजह से खाद्य पदार्थों, ईंधन, लाइट और परिवहन में 52 प्रतिशत तक महंगाई बढ़ गई है। इसके अलावा एफएमसीजी सेक्टर में इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी होने से वस्तुओं की कीमतों में सात प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
शहरी क्षेत्र में महंगाई बढ़ने के पीछे पेट्रो पदार्थ जिम्मेदार जारी की गई एसबीआई ईकोरैप के मुताबिक, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बढ़ रही महंगाई से हाल-फिलहाल राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे। वहीं उनका कहना है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में बढ़ रही कीमतों में भिन्नता है। शहरी क्षेत्र में महंगाई बढ़ने के पीछे का कारण पेट्रोलियम की कीमत में बढ़ोतरी होना है, जबकि ग्रामीण इलाकों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर देखा गया है।
अगस्त तक आरबीआई मौद्रिक नीति समिति की दो और बैठकें मौजूदा महंगाई दर और सप्लाई-चैन में मौजूदा बाधाओं को देखते हुए एसबीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, अगस्त तक केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 75 बीपीएस यानी 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी करेगा। जून में इस वित्तवर्ष की दूसरी और अगस्त में तीसरी बैठक होगी। इस तरह अगस्त तक आरबीआई मौद्रिक नीति समिति की दो और बैठकें प्रस्तावित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई रेपो रेट को बढ़ाकर 5.25 फीसदी तक करेगा। यह अभी 4.5 फीसदी पर है। अगस्त के बाद दरों को बढ़ाने का मामला थोड़ा धीमा पड़ सकता है।
आरबीआई को रेपो रेट बढ़ाने पर पुनर्विचार करने को कहा इसके साथ ही अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई को उसके द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर गौर करने को भी कहा है। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने एसबीआई से इस पर भी गौर करने को कहा है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध संबंधी गतिरोध जल्दी दूर नहीं होते हैं तो क्या इन कदमों से मुद्रास्फीति को सार्थक रूप से नीचे लाया जा सकता है?