जानकारी अनुसार हिण्डोली सहित क्षेत्र के कई गांवों के दर्जनों किसान बरसों से पारंपरिक जायद की फसल की खेती करते आ रहे हैं। ऐसे में सर्दी के मौसम में ही वे पेटा कास्त भूमियों पर वहां पर काबिज किसानों से महंगी दर पर भूमि जुवारे से ले लेते हैं।इस बार बारिश कम होने के बाद भी कई लोगों ने महंगी दर पर जमीन ले ली, एवं तरबूज, खरबूज व ककड़ी की फसल की बुवाई कर दी, लेकिन तापमान अधिक होने व अचानक बांधों, तालाबों का पानी रीत जाने के कारण वहां पर स्थित फसलें सूखने लगी है। साथ में फसलों में रोग लग गया है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी है।
हिण्डोली के किसान मुकेश कहार ने बताया कि उसने व परिजनों ने पेच की बावड़ी बांध पर पेटा कास्त भूमि जुवारे से लेकर तरबूज, खरबूज की फसल की। फसल शुरू में अच्छी रही, लेकिन अचानक रोग लगने के कारण फसल सूख गई है, जिससे उसे लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। कहार बताया कि गत वर्ष भी फसल कमजोर होने के कारण उनकी माली हालत खराब हो गई है। साहूकारों से कर्ज से रुपए उधार लेकर फसल की थी। हनुमान झोपड़ा निवासी नवल कहार का कहना है कि बरधा, दुगारी, गुढा, हिण्डोली बांध में भी कई किसानों ने कर्ज लेकर जायद की फसल की, लेकिन इस बार फसल ने उनके हाथ कम लगी है।
35 फीसदी रह गया उत्पादन
किसानों ने बताया कि गत वर्ष की तुलना इस बार 35 फीसदी तरबूज व खरबूजे की फसल का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में कई लोगों को गर्मी का फल कहलाने वाला तरबूज खाने को कम ही मिलेगा। जानकारी के अनुसार यहां पर हिण्डोली, पेचकी बावड़ी, गुढा बांध ,गोठड़ा, रोणिचा दुगारी सहित कहीं बांधों में जायद की फसल की, लेकिन उत्पादन कम होने के कारण किसान काफी परेशान है।