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खास खबर

भरतपुर में बच्ची पर श्वानों के हमले में आई बड़ी खबर… अब हाइकोर्ट में सुनवाई

आवारा पशुओं के लिए निकायों में अलग विंग, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता
नागरिकों पर श्वानों के हमले पर हाईकोर्ट व मानव अधिकार आयोग ने लिया प्रसंज्ञान

भरतपुरSep 26, 2024 / 07:41 pm

Meghshyam Parashar


भरतपुर. नागरिकों पर श्वानों के आए दिन हो रहे हमलों को गंभीरता से लेकर हाईकोर्ट व राज्य मानव अधिकार आयोग ने बुधवार को स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि गली-गली में यह समस्या है, वहीं राज्य मानव अधिकार आयोग ने टिप्पणी की कि आवारा पशुओं के हमारे जीवन से खिलवाड़ करने के बावजूद अफसोस है स्थानीय निकाय अभियान नहीं चलाते। वैसे हर स्थानीय निकाय में अलग विंग और उसमें कर्मचारी तो होते हैं परंतु धरातल पर होता कुछ नहीं दिखता। ज्ञात रहे कि बुधवार के अंक में एकमात्र राजस्थान पत्रिका ने यह मामला प्रकाशित किया था।
हाईकोर्ट न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह व न्यायाधीश भुवन गोयल की खंडपीठ ने भरतपुर शहर में पांच साल की बच्ची पर चार आवारा श्वानों के जानलेवा हमला करने के मामले में बुधवार को स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया। कोर्ट ने कहा कि गली-गली में आवारा श्वानों की समस्या है। केरल में तो इस समस्या को लेकर नीति बनी हुई है। साथ ही, कहा कि जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने के लिए मामला मुख्य न्यायाधीश के सामनेे रखा जाए और राज्य सरकार के जवाब के लिए आदेश की कॉपी महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद को उपलब्ध कराई जाए, वहीं अदालत का सहयोग करने के लिए अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल को न्यायमित्र नियुक्त किया। उधर, राज्य मानव अधिकार आयोग अध्यक्ष जी आर मूलचंदानी ने बुधवार को राजस्थान पत्रिका में दूध लेने जा रही पांच साल की बच्ची को चार श्वानों ने नोचा शीर्षक से प्रकाशित समाचार के आधार पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया। आयोग ने कहा कि आवारा पशु एवं आवारा श्वान लोगों को चोट पहुंचा रहे हैं और जयपुर शहर भी इससे अछूता नहीं है। आवारा पशु लोगों के जीवन से खिलवाड करते हैं, लेकिन अफसोस है स्थानीय निकाय कोई अभियान भी नहीं चलाते। आवारा पशुओं पर कार्रवाई के लिए स्थानीय निकायों में अलग विंग और उनमें कर्मचारी तैनात रहते है परंतु धरातल पर होता कुछ नहीं दिखता। विषय गंभीर है और प्रशासन एवं स्थानीय निकायों का दायित्व बनता है कि आवारा पशुओं को काजी हाउस में रखने व इन पशुओं के मालिकों के विरूद्ध कार्रवाई करें।
आयोग ने भरतपुर कलक्टर व निगम आयुक्त से मांगी रिपोर्ट

मानव अधिकार आयोग ने भरतपुर के कलक्टर एवं नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर 4 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में घायल बालिका की आर्थिक सहायता के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी भी देने को कहा है।
हकीकत ये… कागजों में होती है कार्रवाई

हकीकत यह है कि आवारा पशुओं व श्वानों के मामले में भरतपुर नगर निगम की हालत बदतर है। क्योंकि कागजों में श्वान, बंदर पकडऩे के अलावा गौवंश को नंदीशाला तक पहुंचाने की कार्रवाई होती है। हाल में ही नगर निगम ने शहर में बंदरों को पकडऩे का अभियान चलाने का दावा किया है, लेकिन असल में ही शहर में बंदरों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है।

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