शराब ठेकेदारों को बचाने का प्रयास, थाना प्रभारी के बदले सुर, पीडि़त से बोले- 20 दिन पहले एक आवेदन आया था, उसमें तेरा भी नाम
– शराब ठेकेदार के लोगों द्वारा की फायरिंग में मामला दर्ज न करना पड़े, इसलिए पुलिस व ठेकेदारों ने मिलकर तैयार की नई कहानी
– 20 दिन पहले पीडि़त के खिलाफ आवदेन आया था तो अब तक पुलिस ने क्यों नहीं बताया, जब वह फायरिंग की रिपोर्ट करने गया तब ही पुलिस को पुराना आवेदन क्यों याद आया
– जौरा में पुलिस- बदमाशों का गठबंधन तो नहीं, इसलिए नहीं होती कार्रवाई
मुरैना. जौरा में बीती रात को जिन कथित शराब ठेकेदारों ने मोनू राणा पर फायरिंग की थी, उक्त मामले में पहले थाना प्रभारी कार्रवाई की बात कहते रहे लेकिन अब उनके सुर बदलते नजर आ रहे हैं। पीडि़त जब एफआइआर कराने थाने पहुंचा तो पहले तो उसको टरकाया लेकिन जब वह दोबारा थाने पहुंचा तो थाना प्रभारी बोले कि 20 दिन पहले एक आवेदन आया था, उसमें ेतेरा भी नाम हैं, इससे लगता है कि जौरा में पुलिस व बदमाशों का गठबंधन चल रहा है इसलिए पुलिस अपराधियों को पक्ष ले रही है न कि पीडि़त का। यहां बता दें कि 6 जून की रात 11:50 बजे मोनू पुत्र पुलंदर राणा निवासी अस्पताल रोड जौरा के ऊपर अज्ञात आरोपियों ने फायरिंग कर दी, किसी तरह मोनू कार को भगाकर अपनी जान बचाकर भाग गया। फायरिंग में शराब ठेकेदार के लोग बताए जा रहे हैं। उक्त मामले में थाना प्रभारी यह कहते रहे कि संभवतह दोनों पार्टियों के बीच राजीनामा हो रहा है लेकिन हम होनें नहीं देंगे। बाद में थाना प्रभारी ने फरियादी को डराने के लिए उसके खिलाफ भी एक आवेदन होने की बात कहकर चलता कर दिया। जौरा में जिस तरह से पुलिस कार्रवाई कर रही है, उससे लगता है कि यहां पुलिस पीडि़तों के लिए बदमाशों के लिए काम कर रही है। जिस व्यक्ति पर फायरिंग की, उसी को एफआइआर न करने के लिए हडक़ाया जा रहा है। जौरा में 22 दिन में हुईं फायरिंग की पांच वारदात जौरा कस्बे में बदमाश काफी सक्रिय दिखाई पड़ रहे हैं। पिछले 22 दिन में लगातार फायरिंग की पांच वारदात हो चुकी हैं। जिससे लोग दहशत में हैं। इन वारदातों के चलते पुलिस गश्त पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कस्बे में 14 मई से 6 जून तक फायरिंग की पांच वारदात हो चुकी हैं। जिनमें प्रमुख् वारदात ये हैं। केस-01
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