एनसीएल के अधिकारियों के मुताबिक कंपनी ने 9 परियोजनाओं में सीएचपी (कोल हैंडलिंग प्लांट) बनाने का काम शुरू कर दिया है। परियोजनाओं में बनाई जाने वाली सीएचपी से कोयला रेलवे रेक में लोड होगा और रेलवे लाइन के जरिया ग्राहकों को भेजा जाएगा। वर्तमान में उपलब्ध नौ सीएचपी से कोयला रेलवे रैक में लोड किया जा रहा है।
अभी कई परियोजनाओं से इन सीएचपी के अलावा रेलवे स्टेशनों तक कोयला सड़क मार्ग सड़क मार्ग से पहुंचाया जा रहा है। परियोजनाओं में नई सीएचपी ऐसे स्थानों में तैयार की जा रही है, जहां तक कोयला पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग का उपयोग नहीं करना होगा। कोयला खदान के रास्ते ही सीधे सीएचपी में पहुंच जाएगा और वहां रेलवे रेक के जरिए ग्राहकों को भेजा जाएगा। इससे रेलवे साइडिंग का उपयोग भी बंद हो जाएगा।
रेक से करना है 130 मिलियन टन
कोयला एनसीएल को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की ओर से वर्ष 2023 तक 130 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। यही वजह है कि एनसीएल की ओर से तैयारी इस उद्देश्य को लेकर किया जा रहा है कि वर्ष 2023 तक 130 मिलियन टन कोयला उत्पादन की स्थिति में पूरा कोयला रेलवे रेक के जरिए उपभोक्ताओं को भेजा जा सके। कहीं भी सड़क मार्ग से कोल परिवहन की जरूरत नहीं पड़े।
कोयला एनसीएल को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की ओर से वर्ष 2023 तक 130 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। यही वजह है कि एनसीएल की ओर से तैयारी इस उद्देश्य को लेकर किया जा रहा है कि वर्ष 2023 तक 130 मिलियन टन कोयला उत्पादन की स्थिति में पूरा कोयला रेलवे रेक के जरिए उपभोक्ताओं को भेजा जा सके। कहीं भी सड़क मार्ग से कोल परिवहन की जरूरत नहीं पड़े।
वर्तमान में 74 मिलियन टन की है व्यवस्था
एनसीएल के पास वर्तमान में 74 मिलियन टन की क्षमता तक कुल 9 सीएचपी उपलब्ध हैं। इन सभी 9 सीएचपी से 74 मिलियन टन कोयला रेलवे रेक से भेजा जाता है। बाकी का कोयला विभिन्न परियोजनाओं से सड़क मार्ग से उपभोक्ताओं या फिर रेलवे साइडिंग तक भेजा जा रहा है। यह मात्रा करीब 25 से लेकर 30 मिलियन टन तक होती है।
एनसीएल के पास वर्तमान में 74 मिलियन टन की क्षमता तक कुल 9 सीएचपी उपलब्ध हैं। इन सभी 9 सीएचपी से 74 मिलियन टन कोयला रेलवे रेक से भेजा जाता है। बाकी का कोयला विभिन्न परियोजनाओं से सड़क मार्ग से उपभोक्ताओं या फिर रेलवे साइडिंग तक भेजा जा रहा है। यह मात्रा करीब 25 से लेकर 30 मिलियन टन तक होती है।
गौरतलब है कि एनसीएल कृष्णशिला परियोजना में जयंत, ब्लॉक बी, ककरी व निगाही में एक-एक और दुद्धिचुआ व अमलोरी में दो-दो सीएचपी तैयार कर रहा है। सीएचपी तैयार होने पर यहां लोडिंग प्वाइंट (एफएमसी यानी फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी) तैयार की जाएगी और रेक में कोयला लोड कर ग्राहकों को भेजा जाएगा।