विधानसभा ( Assembly Election ) के दो चुनावों में राजनीति के पिच पर गुगली खेलने वाले वाहिद चौहान ( Wahid Chowhan Retired from Politics ) नगर परिषद चुनाव से पहले खुद ही ‘हिट विकेट’ हो गए हैं। वाहिद चौहान ने सात वर्ष की राजनीतिक सक्रियता के बाद बुधवार को राजनीति से सन्यास की घोषणा कर दी है। वकौल चौहान अब वे किसी भी राजनीतिक पार्टी की सदस्यता और पद नहीं लेंगे। साथ ही कभी भी कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे। राजनीति उनके मिजाज को सूट नहीं करती है। चौहान का कहना है कि राजनीति में आने का उनका उद्देश्य युवाओं को वोट का महत्व समझाना था, जिसमें काफी हद तक कामयाबी मिली है। नगर परिषद के चुनाव में इसका परिणाम भी देखने को मिलेगा। चौहान के इस बयान के राजनीतिक हलकों में कई मायने निकाले जा रहे हैं।
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राजनीति में सफलता से रहे दूर
महिला शिक्षा और फिल्म निर्माण में मुकाम हासिल करने वाले वाहिद चौहान राजनीति में सफलता से दूर रहे। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से सीकर में विधानसभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में जीत उनसे दूर रही, लेकिन 39 हजार वोट लेकर तत्कालीन उद्योगमंत्री राजेन्द्र पारीक की हार का प्रमुख कारण बर्ने। चुनाव के बाद चौहान ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने नगर परिषद के चुनाव की जिम्मेदारी देकर उन्हें सक्रिय किया, लेकिन यहां भी सफलता उनसे दूर रही। कांग्रेस ने बहुमत से बोर्ड बना लिया। गत विधानसभा चुनाव में चौहान ने आरएलपी पार्टी से ताल ठोंकी, लेकिन इस बार उनके मतों की संख्या में कमी आ गई। उन्हें करीब तीस हजार वोट मिले। इसके बाद लोकसभा चुनाव में वाहिद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था।