दरअसल, सुजानगढ़ से नवलगढ़ मार्ग पर संचालित वाली लोकल रूट की तेज रफ्तार बस मंगलवार दोपहर लक्ष्मणगढ़ में पुलिया से टकरा गई। बस इतनी तेज रफ्तार में थी कि बस का ड्राइवर साइड का हिस्सा पूरा खत्म हो गया।
पुलिस के मुताबिक हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई है और 35 से ज्यादा यात्री घायल हो गए हैं। घायलों का लक्ष्मणगढ़ के जिला अस्पताल व एसके अस्पताल सीकर में उपचार जारी है। घायल व मृतकों में आसपास के गांव-ढाणियों के लोग हैं। सात गंभीर घायलों को सीकर से जयपुर रैफर किया गया है।
सामने आई हादसे की वजह
पुलिस के अनुसार सुजानगढ़ से नवलगढ़ रूट पर जा रही निजी बस तेज रफ्तार में थी। बस को लक्ष्मणगढ़ पुलिया से जयपुर-बीकानेर रोड की तरफ मुड़कर नवलगढ़ रोड पर जाना था। बस की रफ्तार अधिक होने व बैलेंस नहीं बनने के चलते बस पुलिया से जा टकराई। बस का आगे का हिस्सा पूरी तरह से पिचक गया। प्रत्यक्षदर्शियों व पुलिसकर्मियों ने बताया कि बस में क्षमता से दो गुना सवारियां सवार थी। सीटों के अलावा बस की गैलरी में भी सवारियां खचाखच भरी हुई थी। इस हादसे के बाद कलक्टर मुकुल शर्मा, आईजी सत्येंद्रसिंह, एसपी भुवण भूषण यादव, सीओ सिटी आईपीएस शाहीन सी, एडीएम रतन कुमार आदि अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर 12 एम्बुलेंस से घायलों को अस्पताल पहुंचाया। हादसा इतना भयंकर था कि लोगों की शिनाख्ती में भी पुलिस को दो घंटे से ज्यादा का समय लग गया।
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हादसे में इनकी हुई मौत
हादसे में लक्ष्मणगढ़ इलाके के सेठों की ढाणी (राजास) निवासी विनीता (32), लक्ष्मणगढ़ कस्बे के वार्ड 33 स्थित सीमा वाल्मिकी (22), भूमां बासनी निवासी किरण कंवर राजपूत, नेछवा इलाके के नरसास निवासी कमला (35), जाजोद निवासी बनारसी मेघवाल (55), फतेहपुर इलाके के कारंगा बड़ा निवासी नीरज उर्फ आदित्य मेघवाल (16) खाजूवाला (बीकानेर) निवासी प्रमोद सिंह (35) को लक्ष्मणगढ़ के जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने मृत घोषित किया है। वहीं सीकर के एसके अस्पताल में सरोज पत्नी सुभाष वाल्मीकि निवासी एसआर स्कूल के पीछे लक्ष्मणगढ़, गिरधर कंवर पत्नी किशन सिंह निवासी बासनी, सोहनी देवी पत्नी मिठूराम बैरवा निवासी वार्ड नंबर 23 लक्ष्मणगढ़, आनंद कंवर पत्नी अमित सिंह व बाबूलाल 35 वर्ष पुत्र आशाराम निवासी नरसास को मृत घोषित किया गया।
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पेनल्टी से बचने के लिए बढ़ाते हैं स्पीड
दरअसल नवलगढ़-मुकुन्दगढ़ से लक्ष्मणगढ़ होते हुए सालासर जाने वाले मार्ग पर निजी बसें ही चलती है। इन बसों की यूनियन भी बनी हुई है। बसों के मुख्य स्टैण्डों से रवाना होने तथा पहुंचने का टाइम तय है और इसकी मॉनिटरिंग भी की जाती है। अगर कोई बस निर्धारित मुख्य स्टैंड पर देरी से पहुंचती है तो उस के मालिक पर प्रति मिनट की देरी के हिसाब से पेनल्टी वसूली जाती है। ऐसे में बसों को शुरुआत में धीरे चलाते हुए अधिकतम सवारी लेने तथा मुख्य स्टैंड तक समय पर पहुंचने के लिए बाद में स्पीड बढ़ाने के निर्देश रहते है, जिससे बस के असंतुलित होने तथा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। यह भी पढ़ें