पिता करते हैं खेती
मूलत: बीकानेर निवासी हरीश अपने अरमानों को पूरा करने के लिए दो साल पहले शिक्षानगरी में आया। हरीश के पिता वीरेन्द्र सिंह खेती करते हैं और ममता गृहिणी हैं। हरीश का सपना पहले डॉक्टर बनना और फिर सिविल सेवा की तैयारी करना है। उन्होंने बताया कि सफलता में स्कूल का अहम रोल रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूल में चार बार रिविजन कराया गया, जिससे आत्मविश्वास बढ़ा। उन्होंने सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को दिया है।
पढ़ाई का जुनून ऐसा…पूरे साल में तीन बार ही गया गांव
पत्रिका से खास बातचीत में हरीश ने बताया कि कक्षा दसवीं में एक दोस्त के लगभग एक प्रतिशत अंक आए थे। इस दौरान सोच लिया था कि कक्षा बारहवीं में स्कोर दोस्त से ज्यादा करना है। इसके बाद पूरे जुनून से 12वीं की तैयारी में जुट गया। इस दौरान हरीश पूरे साल में केवल तीन बार ही गांव गया। हरीश ने बताया कि कक्षा बारहवीं की शुरूआत में ही तय कर लिया था मुझे 99 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने हैं। इसके लिए हॉस्टल में रहकर रात को दो बजे तक पढ़ाई करता। आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए मम्मी-पापा और शिक्षकों से बात की।